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छात्राओं को नहीं मिली किताबों की राशि

सरकारी स्कूलों के बच्चे बिना किताब के ही पढ़ाई कर रहे हैं। विभाग द्वारा किताब के लिए राशि भी उपलब्ध कराई गईख् लेकिन कहीं विद्यालय तो कहीं बैंक की उदासीनता के कारण बच्चों को किताब की राशि नहीं मिल पाई...

छात्राओं को नहीं मिली किताबों की राशि
हिन्दुस्तान टीम,लखीसरायMon, 10 Sep 2018 12:15 AM
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सरकारी स्कूलों के बच्चे बिना किताब के ही पढ़ाई कर रहे हैं। विभाग द्वारा किताब के लिए राशि भी उपलब्ध कराई गईख् लेकिन कहीं विद्यालय तो कहीं बैंक की उदासीनता के कारण बच्चों को किताब की राशि नहीं मिल पाई है।

विभाग सभी बच्चों के खाते में जहां राशि चले जाने का दावा कर रही हैं वहीं हकीकत इससे इतर है। अभी भी आधा से ज्यादा बच्चों के खाता में किताब खरीदने की राशि नहीं जा पाई है। विभाग द्वारा हरेक सप्ताह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किताब क्रय करने सहित अन्य लाभुक योजनाओं की समीक्षा की

जाती है। जिला स्तरीय पदाधिकारियों द्वारा रिपोर्ट भी दिया जाता है बावजूद हकीकत इससे दूर है। शिक्षा विभाग के सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय द्वारा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के खाते में राशि का स्थानांतरण विद्यालय के मांग के आधार पर किया गया। प्रखंड कार्यालय से सभी प्रारंभिक विद्यालयों के शिक्षा समिति के खाता में राशि दी गई। इसके बाद विद्यालय द्वारा सभी बच्चों के खाता में राशि का भुगतान किया जाना है। इसके बावजूद बच्चों को राशि नहीं मिला है।

आधा सत्र बीतने के बाद भी बच्चों को नहीं मिली राशि: प्रारंभिक विद्यालयों में एक लाख से ज्यादा बच्चे नामांकित हैं। नामांकित बच्चों में से अधिकांश विद्यालयों में बच्चे अभी भी बिना किताब की ही पढ़ाई कर रहे हैं। विद्यालय द्वारा बच्चों के खाते में राशि भेजने के लिए बैंक को उपलब्ध कराया गया है। बावजूद अब तक आधे से ज्यादा बच्चों के खाता में किताब की राशि नहीं गई है। जिन बच्चों के खाता में राशि गई भी है उसके द्वारा किताब की खरीददारी नहीं की गई है। ऐसे में बच्चे बिना किताब के ही विद्यालय आ रहे हैं।

विभाग बना है उदासीन: राशि भेजने के बाद अपने कर्त्तव्य को पूरा समझ शिक्षा विभाग के पदाधिकारी किताब खरीदने का मानिटरिंग नहीं कर रहे हैं। विद्यालय एवं प्रखंड स्तर किताब खरीद योजना की मानिटरिंग नहंी होने से योजना गति नहीं पकड़ रही है और आधा से ज्यादा बच्चे किताब से वंचित हैं। डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान द्वारा कई बार मिटिंग कर योजना को गति देने का प्रयास किया गया लेकिन कनीय पदाधिकारियों का अपेक्षित

सहयोग नहीं मिलने के कारण बच्चे आधा सत्र बीतन के बाद भी किताब से वंचित हैं।

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