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सात लाख की एंबुलेंस को पांच वर्षों से चालक का इंतजार

एक अदद ड्राइवर के अभाव में टॉउन हॉल में रखी एंबुलेंस वर्षों से धूल फांक रही है। नगरवासियों की सेवा को लेकर पांच वर्ष पूर्व एंबुलेंस को नगर परिषद प्रशासन ने खरीदी थी। करीब सात लाख रुपए की लागत से...

सात लाख की एंबुलेंस को पांच वर्षों से चालक का इंतजार
हिन्दुस्तान टीम,लखीसरायWed, 24 Jun 2020 11:30 PM
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एक अदद ड्राइवर के अभाव में टॉउन हॉल में रखी एंबुलेंस वर्षों से धूल फांक रही है। नगरवासियों की सेवा को लेकर पांच वर्ष पूर्व एंबुलेंस को नगर परिषद प्रशासन ने खरीदी थी। करीब सात लाख रुपए की लागत से एंबुलेंस की खरीददारी की गई थी। एंबुलेंस खरीददारी के बाद नप प्रशासन व गणमान्य जनप्रतिनिधियों ने बड़ी ताम-झाम के साथ उद्घाटन भी की थी। लोगों के बीच में मीडिया व अन्य स्रोतों से प्रचार-प्रसार भी कराया गया था, लेकिन कुछ ही दिनों के बाद खरीदी गई एंबुलेंस को लॉकडाउन कर दी गई। एंबुलेंस की खरीददारी के बाद नप क्षेत्र के लोगों की उम्मीद जगी थी कि जरूरतमंद बीमार पड़े लोगों को सुविधा मिलेगी, लेकिन उनके संजोए सपने पूरा नहीं हो सका। अगर अब भी नप प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो सात लाख में खरीदी गई एंबुलेंस चंद रुपयों में कबाड़ खाना में बिक्री के लायक हो जाएगी। हालांकि कोरोना वायरस के दौरान एंबुलेंस को चालू कराने के लिए सोयी नप प्रशासन जागा तो जरूर था, लेकिन ड्राइवर नहीं रहने का रोना रोकर एक बार फिर एंबुलेंस को चालू कराने के बजाए ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। एंबुलेंस बंद रहने के कारण सरकारी राजस्व को भी हर दिन हजारों रुपए घाटा हो रहा है। जानकारों की बातों पर गौर करें तो नए सिरे से एंबुलेंस को चालू करने में फिर एक बार बड़ी राशि का खर्च वहन नप प्रशासन को करना पड़ेगा।

एंबुलेंस नहीं मिलने से मौत

14 मई को सदर अस्पताल में ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित एक वृद्धा तीन घंटे तक एंबुलेंस के इंतजार में पड़ी रही। महिला के परिजन लगातार एंबुलेंस के लिए गुहार लगा रहे थे। वृद्धा को पटना रेफर किया गया था। वृद्धा मानिकपुर थाना क्षेत्र कोनीपार निवासी बटोरन महतो की 63 वर्षीय पत्नी अहिल्या देवी थी।

21 मई को सदर अस्पताल गेट पर गंभीर रूप से बीमार महला को पटना रेफर कर दिया गया। उसे एंबुलेंस की भी सुविधा नहीं दी गई। इतना ही नहीं अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि बाद में महिला को वापस स्ट्रेचर पर अस्पताल में भर्ती किया गया और इलाज फिर से की गई। ऐसे एक नहीं कई कहानियां दिखने को मिलती है।

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