बच्चों के संस्कार निर्माण में आगे आएं माता-पिता
तेरापंथ समाज का महापर्व पर्युषण महापर्व का दूसरा दिन स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया...
तेरापंथ समाज का महापर्व पर्युषण महापर्व का दूसरा दिन स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया गया।
स्थानीय तेरापन्थ भवन में शनिवार को उपासक महावीर दुगड़ और प्रकाश गीडीया ने अपने प्रवचन में उपस्थित तेरापन्थ धर्मसंघ के लोगो को बताया कि आज की शिक्षा भौतिकता से भरी है और शिक्षा के क्षेत्र में काफी कंप्टीशन है,मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे 100 में 100 प्रतिशत अंक लेकर आए, बच्चो को सभी क्षेत्र में अतिरिक्त क्लास करवाकर अपने बच्चो को हर क्षेत्र में आगे रखना चाहते है किंतु इन सभी शिक्षाओं के साथ साथ माता पिता को बच्चो के संस्कार निर्माण के लिए भी आगे आना चाहिए।
जिसमें साहित्य का अहम किरदार रहता है। कार्यक्रम में नेपाल बिहार झारखंड तेरापन्थ सभाध्यक्ष राजकरण दफ्तरी, चैनरूप दुगड़,पुखराज बागरेचा,अमित दफ्तरी, वीरेंद्र दुगड़,कमल पटावरी,हीरालाल छाजेड़,मोहन लूणिया,प्रभा बैद,लता बैद, निर्मला घीया,किरण देवी श्यामसुखा, सन्तोष देवी दुगड़,अन्नू श्रीमाल, अनिल लूणिया,फुसराज लूणिया, आसकरण बोथरा,रितेश बैद, के साथ साथ तेरापन्थ समाज के दर्जनों अनुयायी उपस्थित थे|। नेपाल बिहार तेरापन्थ सभाध्यक्ष राजकरण दफ्तरी ने बताया कि भारतीय संस्कृति में अध्यात्म/स्वाध्याय का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। तेरापन्थ धर्मसंघ के एकादशम आचार्य श्री महाश्रमण जी के मंगल मार्गदर्शन में तेरापन्थ भवन में स्वाध्याय दिवस पर सारभूत प्रवचन का श्रवण कर श्रावक श्राविकाओं ने धन्यता का अनुभव किया,आचार्य प्रवर के अनेकों साहित्य आज मानव जाति के लिए कल्याणकारी साबित हो रहे हैं।