ठाकुरगंज। नेपाल सीमा से सटे ठाकुरगंज का दल्लेगांव पंचायत में भी लोग बुनियादी सुविधाओं की आस लगाए हैं। स्थिति यह है कि इस गांव में जाने के लिए मेची और डोहना नदी पर बने चचरी पुल का सहारा आज भी लेना पड़ता है। आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद भी यहां के ग्रामीण बरसात में एक तरह से घिर जाते हैं क्योंकि बरसात में मेची नदी के कहर से बांस के चचरी का पुल का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है और लगभग पूरा दल्लेगांव पंचायत टापु में तब्दील हो जाता है। जिससे यहां के लोगों में काफी आक्रोश है। यहां यह बता देना उचित होगा कि दल्ले गांव पंचायत में कुल 11 वार्डो को प्रतिवर्ष डोहना और मेची नदी का दंश झेलना पड़ता है। आज भी ग्रामीण विकास की बाट जोह रहे हैं।
अगली स्टोरी