कोचाधामन में कुत्ता काटने के मामले बढ़े, लोगों में दहशत
किशनगंज के कोचाधामन में पागल कुत्तों के काटने के मामलों में तेजी आई है, जिससे लोग दहशत में हैं। स्वास्थ्य विभाग ने एंटी रेबीज वैक्सिनेशन की प्रक्रिया को बढ़ा दिया है। पिछले दिनों में 28 लोगों को...

किशनगंज, एक प्रतिनिधि। जिले के कोचाधामन।के इन दोनों पागल कुत्ता के डर से लोग दहशत में जी रहे हैं। कोचाधामन क्षेत्र में पागल कुत्ता काटने के मामले से पीड़ित वैक्सीम लेने के लिए मरीजों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई।शुक्रवार को सीएचसी में 28 लोगों को कुत्ता काटने वाला एंटी रेबीज वैक्सीन(एआरवी) दिया गया। कोचाधामन सीएचसी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. कुंदन कुमार निखिल ने बताया कि बीते कुछ दिनों से रोजाना 10 से 15 लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं। शुक्रवार को सबसे अधिक 28 लोगों को वैक्सीन दिया गया।।प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने कहा कि कुत्ता काटने के बढ़ते हुए मामले को लेकर अब सीएचसी में दिन भर एआरवी वैक्सिनेशन जारी रहेगा जबकि पूर्व में सिर्फ मॉर्निंग ओपीडी एवं इवीनिंग ओपीडी में एंटी रेविज वैक्सिनेशन किया जा रहा था ।इमरजेंसी टाइम में आने वाले डॉग बाइट पीड़ित को ओपीडी के समय तक का इंतेजार करना पड़ रहा था।उन्होंने कहा डॉग बाइट के बढ़ते मामले को देखते हुए दिन भर एआरवी वैक्सिनेशन जारी रखने के लिए निर्देश दिया गया है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.कुंदन कुमार निखिल ने बताया कि रेबीज एक जानलेवा बीमारी होती है जो अधिकांश मामलों में रेबीज वाले कुत्ते के काटने के बाद होती है। कुत्तो काटने के बाद होता है। रेबीज का संक्रमण न्यूरोट्रोपिक लाइसिसिवर्स या रबडोवायरस नामक वायरस के कारण होता है ।रेबीज का कोई स्थायी इलाज नहीं खोजा जा सका है। लेकिन, इस बीमारी की रोकथाम वैक्सीनेशन की मदद से रेबीज से सुरक्षित रहा जा सकता है लेकिन अगर किसी व्यक्ति ने वैक्सीन नहीं लगवाया है और उसे संक्रमण हो जाए तो ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति का बच पाना मुश्किल हो जाता है।स्वास्थ्य विभाग रेबीज की खतरनाक और घातक बीमारी के बारे में जागरूक किया जाता है। सिविल सर्जन डॉ.राजेश कुमार ने कहा कुत्ता काटने पर देर किए बगैर सरकारी अस्पताल पहुंच कर इलाज करवाएं। उन्होंने कहा अकसर देखा जाता है कि गांवों के मरीज को झारफुक के चक्कर मे पड़ कर समय गवाते हैं कई पीड़ित को 72 घंटे के बाद अस्पताल लेकर आते हैं। कुत्ते या अन्य किसी जानवर के काटे जाने के बाद तुरन्त डॉक्टर को दिखा कर नजदीकी प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या सदर अस्पताल पहुंचाएं ।, 72 घंटे के अंदर एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवाए।उन्होंने कहा सदर अस्पताल के अलावा जिले के सभी पीएचसी-सीएचसी में पर्याप्त मात्रा में कुत्ता काटने से दिया जाने वाला सुई एआरवी उपलब्ध है।
प्राथमिक उपचार नहीं करने पर बड़ा खतरा
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन ने बताया कि कुत्ता के काटने पर किसी तरह का प्राथमिक उपचार नही कराने और न ही अस्पताल में एन्टी रेबीज वैक्सीनेशन कराता है,तो रेबिज की स्थिति में पीड़ित का मौत हो जाता है। रेबिज का वायरस जहां कुत्ते ने काटा, वहां से लेकर दिमाग तक जाता है।उन्होंने बताया कि रेबीज वायरस बहुत धीरे-धीरे चलता है,इसमें सालों लग जाते हैं।इसलिए ये जरूरी नहीं कि आज काटा तो उसके लक्षण तुरंत दिख जाएं।रेबीज का लक्षण 6 माह के भीतर या 10 से 15 साल बाद भी सामने आ सकता है।इसलिए कुत्ता काटने से एन्टी रेबीज का वैक्सीम जरूर करवाएं।
डॉ. अनवर हुसैन ने बताया कि रेबीज रोगी को सबसे अधिक पानी से डर लगता है। क्योंकि जिस किसी को रेबीज हो जाता है, यह रोग दिमाग के साथ-साथ गले को भी अपनी चपेट में ले लेता है। अगर रोगी पानी पीने मात्र की भी सोचता है तो उसके कंठ में जकड़न महसूस होती है। जिससे उसको सबसे अधिक पानी से ही खतरा होता है। रोगी के नाकों, मुहं से लार निकलती है। यहां तक की वह भौंकना भी शुरू कर देता है। रोग की एक ऐसी भी अवस्था होती है कि वह अपने आपको निडर महसूसकरता है। रोगी को रोशनी से डर लगता है। रोगी हमेशा शांत व अंधेरे वातावरण में रहना पसंद करता है। रोगी किसी भी बात को लेकर भड़क सकता है।
कुत्ता काटे तो तुरंत करें ये उपाय
घाव को सबसे पहले धो लें,हल्के साबुन का प्रयोग करें और उस पर पांच से 10 मिनट के लिए गर्म पानी से धोएं
एक साफ कपड़े से रक्तस्राव को धीमा करें
घाव को जीवाणुरहित पट्टी से लपेटें
घाव पर पट्टी बांध दें और डॉक्टर को दिखाएं
एक बार जब डॉक्टर घाव की जांच कर लें तो पट्टी को दिन में कई बार बदलें
लाली, सूजन, दर्द में वृद्धि और बुखार सहित संक्रमण के लक्षण हो तो डॉक्टर से संपर्क करें
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