Hindi NewsBihar NewsKishanganj NewsNight Blood Survey Identifies 2 New Lymphatic Filariasis Cases in Kishanganj District
जिले में 2 नया फाइलेरिया मरीज की हुई पहचान

जिले में 2 नया फाइलेरिया मरीज की हुई पहचान

संक्षेप: किशनगंज जिले में 20 से 27 अगस्त तक हुए नाइट ब्लड सर्वे में 611 लोगों का खून का नमूना लिया गया। प्रारंभिक रिपोर्ट में 2 नए फाइलेरिया मरीज पाए गए हैं, जबकि पॉजिटिव दर 1% से कम है। स्वास्थ्य विभाग 2027...

Sun, 14 Sep 2025 02:08 AMNewswrap हिन्दुस्तान, किशनगंज
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पूर्व से 1888 हाथी पांव फाइलेरिया पीड़ित मरीज है जिले में नाइट ब्लड सर्वे में दोनो पंचायत में 611 लोगों का कलक्ट किया गया था ब्लड सैंपल फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 20 से 27 अगस्त तक किया गोया था नाइट ब्लड सर्वे सर्वे में 20 वर्ष से अधिक उम्र के 611 लोगों का संग्रह किया गया था खून का नमूना किशनगंज । एक प्रतिनिधि फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर जिले के ठाकुरगंज प्रखंड में 20 से 27 अगस्त तक आयोजित नाइट ब्लड सर्वे का प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आ गया है। पहली रोपोर्ट में 2 नया फाइलेरिया मरीज की पहचान हुई है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग एवं सर्वे किये गए क्षेत्र वासियों के लिए राहत की खबर है कि जांच रिपोर्ट में एक प्रतिशत से कम पॉजिटिव मामले सामने आया है।

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गौरतलब हो कि नाइट ब्लड सर्वे में 611 लोग का ब्लड कलक्ट किया गया है जिसमे मात्र 2 लोगों में फाइलेरिया परजीवी की पहचान हुई है। प्राथमिक जांच रिपोर्ट में निगेटिव सैंपल का किशनगंज सदर अस्पताल में रेंडमली दोबारा जांच किया जाएगा। इसलिए पॉजिटिव मरीज की संख्या बढ़ भी सकती है। गौरतलब हो कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले में 20 से 27 अगस्त तक नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया गया था। जिसमें ज़िले के ठाकुरगंज प्रखंड के बेसरबाटी और भातगांव पंचायत के एक-रक गांव में नाइट ब्लड सर्वे किया गया था दोनो गांव में 20 वर्ष से अधिक उम्र के 611 लोगों का ब्लड सैंपल कलक्ट किया गया था। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ.मंजर आलम ने बताया कि जिले में फाइलेरिया के प्रसार दर का सही तरीके से अनुमान लगाने के लिए फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्र में रैंडम साइट के तहत नाइट ब्लड सर्वे (एनबीएस) अभियान चलाया गया था। इस सर्वे में 2 लोग में फाइलेरिया परजीवी पाया गया है दोनो मरीज को आवश्यक दवा उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा शुरुआत में सही इलाज होने पर फाइलेरिया परजीवी पर काबू पाया जा सकता है, जिससे मरीज सवस्थ हो सकता है। उन्होंने बताया सही समय पर इलाज नही होने से फाइलेरिया पीड़ित मरीज हाथी पांव फाइलेरिया प्रभाव में आ सकता है। 2027 तक फाइलेरिया मुक्त जिला की गिनती में लाने में जुटा है स्वास्थ्य विभाग: सिविल सर्जन डॉ.राजकुमार चौधरी ने बताया कि किशनगंज जिला बहुत जल्द फाइलेरिया बीमारी मुक्त हो सकेगा। नाइट ब्लड सर्वे में मात्र 2 मरीज मिले हैं। पॉजिटिव दर एक प्रतिशत से कम है । सैंपल को माइक्रोसॉफ्ट से रेंडमली रिवीयू करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया फाइलेरिया उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रक्रियारत है,हालांकि इसमें अभी थोड़ा वक्त लग सकता है। उन्होंने बताया कि रिवियु रिपोर्ट आने के बाद रैंडम जांच के लिये स्लाइड किशनगंज मंगाया जाएगा कहा कि फाइलेरिया सूबे के साथ जिला भी इस दिशा में लगातार कोशिश किया जा रहा है, 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर जिला भी अपनी भूमिका साबित करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से प्रयास में जुटा हुआ है। जिले में नाइट ब्लड सर्वे के दौरान 611 खून के नमूने का संग्रह किया गया था। कलक्ट किये गए सभी सेंपल को प्रयोगशाला में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया गया है। बता दें कि फाइलेरिया के परजीवी रात्रि में ही सक्रिय होते हैं। इसीलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही जानकारी मिलती है। इसी वजह से फाइलेरिया मरीज का पता लगाने के लिए रात के समय ब्लड सैंपल कलक्ट किया गया है। जिले में 1888 लोग फाइलेरिया से हाथी पांव पीड़ित मरीज है: जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ.मंजर आलम ने बताया कि जिले में 1 हजार 888 लोग फाइलेरिया पीड़ित हाथी पांव पीड़ित रोगी है। उन्होंने ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी विशेष रूप से परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से होने वाला रोग है जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में मानसुनिया मच्छर भी कहा जाता । जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता तो उनके शरीर से फाइलेरिया परजीवी उठाकर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटने पर उनके शरीर में डाल देता है। इससे फाइलेरिया के परजीवी रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देता। फाइलेरिया को खत्म करने के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है लेकिन जागरूक रहकर बचाव करने से इसे नियंत्रित रखा जा सकता। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बनाता बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर समय रहते फाइलेरिया की पहचान कर ली जाए तो जल्द ही इसका इलाज शुरू कर इसे नियंत्रित रखा जा सकता है।