Natural Farming Training Program Launched for Women Farmers in Kishanganj कृषि विज्ञान केंद्र में प्राकृतिक खेती पर कृषि सखी का प्रशिक्षण प्रारंभ, Kishanganj Hindi News - Hindustan
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कृषि विज्ञान केंद्र में प्राकृतिक खेती पर कृषि सखी का प्रशिक्षण प्रारंभ

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Newswrap हिन्दुस्तान, किशनगंजMon, 8 Sep 2025 11:43 PM
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कृषि विज्ञान केंद्र में प्राकृतिक खेती पर कृषि सखी का प्रशिक्षण प्रारंभ

किशनगंज, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि कृषि विज्ञान केंद्र, किशनगंज में सोमवार से प्राकृतिक खेती पर आधारित पांच दिवसीय कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर जिले की विभिन्न पंचायतों से चयनित कृषि सखियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया । इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को प्राकृतिक खेती की अवधारणा एवं तकनीकों से सशक्त बनाना है, ताकि वे रासायनिक खेती पर निर्भरता घटाकर टिकाऊ और स्वास्थ्यवर्धक कृषि को बढ़ावा दे सकें। कार्यक्रम के अंतर्गत फसल प्रबंधन, पोषण-सम्पोषण, बागवानी, जैविक एवं प्राकृतिक खेती की पद्धति, पशुपालन, बीज उत्पादन तथा पोषण उद्यान जैसी विषयवस्तुओं पर विस्तार से जानकारी दी जा रही है ।

उद्घाटन सत्र में जिला कृषि पदाधिकारी, वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान, सहायक निदेशक (सस्य), सहायक निदेशक (रसायन), कृषि विज्ञानी डॉ० अलीमुल इस्लाम एवं डॉ० कन्हैया लाल ने अपने विचार साझा किए । सभी वक्ताओं ने कहा कि प्राकृतिक खेती कृषि का भविष्य है और कृषि सखियां किसानों व वैज्ञानिकों के बीच सेतु का कार्य कर इस संदेश को प्रत्येक गांव तक पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभा सकती हैं । जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि महिलाओं की सहभागिता कृषि विकास की रीढ़ है और प्राकृतिक खेती के प्रसार में उनकी भूमिका निर्णायक होगी । वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान समूह चर्चा, व्यवहारिक प्रदर्शन और फील्ड विजिट कराए जाएंगे, ताकि कृषि सखियां प्राकृतिक खेती की तकनीकों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त कर सकें । डॉ़ अलीमुल इस्लाम ने कहा कि बदलते जलवायु परिदृश्य में प्राकृतिक खेती किसानों को जलवायु अनुकूल समाधान प्रदान करती है और कृषि सखियां इस संदेश को किसानों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण होंगी । वहीं, डॉ० कन्हैया लाल ने बीज गुणवत्ता, उन्नत किस्मों तथा जैविक व प्राकृतिक विधियों को टिकाऊ और लाभकारी कृषि की आधारशिला बताया । यह प्रशिक्षण 12 सितम्बर तक चलेगा। समापन सत्र में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे। साथ ही उनसे अपेक्षा की गई है कि वे अपने-अपने गांवों में जाकर प्राकृतिक खेती की तकनीकों का प्रसार करें और महिला कृषकों एवं किसानों को इसके लिए प्रेरित करें।

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