निजी नर्सिंग होम में फर्जीवाड़ा से खतरे में मरीजों की जान, अधिकारी बन रहे अंजान
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किशनगंज, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। फर्जी क्लिनिक से लेकर अल्ट्रासाउंड सेंटर व पैथोलॉजी में इलाज व जांच के नाम पर फर्जीवाड़े का खेल जारी है. गलत इलाज के कारण मरीज की मौत के बाद मामला तूल पकड़ने पर किस्त में एक दो छोटे-मोटे क्लिनिकों पर कार्रवाई कर स्वास्थ्य विभाग चुप हो जाता है. बीते रविवार को शहर के पश्चिमपाली में संचालित एक निजी नर्सिंग होम में इलाज के बाद एक बार फिर फर्जी क्लिनिकों का मामला तूल पकड़ लिया है। बताया जाता है कि एक निजी क्लिनिक का स्वास्थ्य विभाग से कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है लेकिन यहां धड़ल्ले से गर्भवती महिलाओं के प्रसव का गोरखधंधा कर जिंदगी से खिलवाड़ का खेल चल रहा था।
जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत कहें या कुछ और, इससे पहले जिला प्रशासन द्वारा टीम गठित कर जिले में संचालित निजी क्लिनिकों की जांच हुई, करीब एक दर्जन से अधिक ऐसे नर्सिंग होम व जांच घर पाये गये, जिनका संचालन नियम कायदे को ताक पर रख कर किया जा रहा था लेकिन जांच रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जांच रिपोर्ट में पायी गयी गड़बड़ी को दूर करने की बजाय मामले की लीपापोती क्यों कर दी गयी? इसके पीछे के राज के बारे में तरह तरह की चर्चा हो रही है। लिहाजा, स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली कटघरे में है और इधर, जिंदगी की आस में इलाज के लिए ऐसे फर्जी नर्सिंग होम के चंगुल में फंस कर आये दिन लोग मौत के मुंह में समाने को विवश हैं। निजी क्लिनिक में जा रही जान, अधिकारी अनजान शहर से लेकर गांव-कस्बों में संचालित दर्जनों नर्सिंग होम जहां डॉक्टर तो दूर प्रशिक्षित कंपाउंडर तक नहीं रहते हैं लेकिन वहां पर मरीजों को भर्ती कर इलाज के नाम पर जिंदगी से खिलवाड़ किया जाता है। बीते दिनों खगड़ा गेट के पास संचालित एक क्लिनिक का वीडियो वायरल हुआ था, जहां कंपाउंडर द्वारा आला लटका कर गर्भवती महिलाओं से लेकर अन्य गंभीर मरीजों का इलाज किया जा रहा था। यह मामला डीएम के संज्ञान में दिया गया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई और आज भी खगड़ा गेट के समीप मेडिकल दुकान के समीप फर्जी डॉक्टर का नर्सिंग होम धड़ल्ले से चल रहा है। बीते रविवार को पश्चिम पाली स्थित एक निजी क्लिनिक में गर्भवती मरीज की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन को ठोस कदम उठाने की फुर्सत नहीं मिली है. स्वास्थ्य माफिया, नर्सिंग होम व अल्ट्रासाउंड संचालकों की विभाग में इतनी गहरी पैठ है कि जांच में गड़बड़ी पाये जाने के बाद कार्रवाई की बजाय मामले की लीपापोती कर दी जाती है। लिहाजा, फर्जी क्लिनिक की आड़ में लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ का खेल बंद होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की मानें तो जिले में कुल 123 निजी नर्सिंग होम व जांच घरों को लाइसेंस निर्गत किया गया है। सदर अस्पताल से मरीजों को नर्सिंग होम पहुंचा रहे दलाल तीन दिन पहले ग्वालपोखर थाना क्षेत्र के नूर आलम की पत्नी मेहरूण निशा को प्रसव के लिए सदर अस्पताल लाया गया, जहां मौजूद दलालों ने बदहाली की दुहाई देते हुए बरगला कर मरीज को पश्चिमपाली स्थित गॉड ब्लेस नर्सिंग होम पहुंचा दिया, जहां इलाज में लापरवाही के कारण मरीज की हालत बिगड़ती चली गयी और प्रसव के लिए आयी महिला ने दम तोड़ दिया। जिसके बाद एक नर्सिंग होम में मृतका के परिजनों ने तोड़फोड़ करते हुए हंगामा किया था। मिली जानकारी अनुसार सदर अस्पताल में निजी नर्सिंग होम से लेकर जांच घरों के दलाल सक्रिय रहते हैं जो मरीजों को बहला फुसला कर नर्सिंग होम के चंगुल में पहुंचा कर मोटी रकम कमीशन से जेब भर रहे हैं। बेचारे भाले भाले ग्रामीण मरीजों को यहां तक पता नहीं रहता है कि जहां पर बेहतर इलाज के लिए वह जा रहे हैं, वहां जिंदगी खतरे में जा सकती है। निजी नर्सिंग होम व जांच घरों में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर जांच कर कार्रवाई की जाती है. सरकारी मानक का पालन हर हाल में सभी नर्सिंग होम व अल्ट्रासाउंड व पैथोलॉजी संचालकों को करना होगा. मरीजों के इलाज में लापरवाही सहित किसी भी प्रकार की गड़बड़ी मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी। - विशाल राज, डीएम किशनगंज।
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