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ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना के लिए उमड़े श्रद्धालु

शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन गुरुवार को जिले के विभिन्न मंदिरों व पूजा पंडालों में मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना श्रद्धालुओं ने की। सुबह से ही मंदिरों में लंबी कतार लगी हुई...

ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना के लिए उमड़े श्रद्धालु
हिन्दुस्तान टीम,खगडि़याFri, 12 Oct 2018 01:31 AM
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शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन गुरुवार को जिले के विभिन्न मंदिरों व पूजा पंडालों में मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना श्रद्धालुओं ने की। सुबह से ही मंदिरों में लंबी कतार लगी हुई थी। पूजा-अर्चना को लेकर लोगों ने काफी श्रद्धा के साथ तैयार थे। इस दौरान श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा से सुख, शांति व समृद्धि की कामना की। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना की जा रही थी।

पूरा इलाक ा वैदिक मंत्रोच्चार से गुंजायमान हो रहा था। हर ओर भक्तिमय माहौल था। सन्हौली दुर्गा , बड़ी दुर्गा स्थान, दाननगर दुर्गा मंदिर, सरस्वती स्थान, स्टेशन रोड आदि मंदिरों में लोगों की भीड़ अप्रत्याशित जुटी हुई थी। हर कोई मां दुर्गा की पूजा-अर्चना को बेताब था। विभिन्न पूजा मंदिरों में पूजा कमेटी द्वारा चयनित स्वयंसेवकों द्वारा भी लगातार निगरानी रखी जा रही थी। जिससे किसी भी प्रकार की चूक नहीं हो सके।

बारिश के कारण दीपयज्ञ हुआ प्रभावित: शाम में बारिश होने के कारण मंदिरों में दीपयज्ञ के लिए कुंवारी कन्याओं की भीड़ पहले दिन की अपेक्षा कम देखी गई। हालांकि बारिश के बावजूद भी श्रद्धालुओं में उत्साह कम नहीं था।

दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु: शहर के विभिन्न दुर्गा मंदिरों में मां दुर्गा के प्रति विश्वास का परिणाम है कि दूर-दूर से भी प्रत्येक दिन पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं। वहीं गोगरी एवं आसपास के इलाके में दुर्गा पूजा के दूसरे दिन मां दुर्गा की नव स्वरूप में से दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा-अर्चना श्रद्घालुओं ने श्रद्घा व विश्वास के साथ की। वैष्णवी दुर्गा मंदिर राजिस्ट्री चौक पर मां की पूजा का संपन्न कराने में जुटे आचार्य शुभम सावर्ण ने बताया मां की ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा अर्चना से भक्तो में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार व संयम की वृद्घि होती है। मां का यह स्वरूप वेद ,तत्व एवं सप्त ब्रह्म के रूप में है।

हिमालय के घर की पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई मां ब्रह्मचारिणी भगवान शंकर को पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। आचार्य ने कहा कि मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा से जीवन के कठिन संघषोंर् में भी भक्तों का मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से सिद्घि और विजय की प्राप्ति होती है। आचार्य ने बताया कि शुक्रवार को मां के चंद्रघंटा रूप की पूजा-अर्चना है।

नवरात्रि की उपासना के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है। इनकी पूजा शांति दायक वह कल्याणकारी होती है। मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्ध चंद्र है।

इसलिए इस स्वरूप को चंद्रघंटा कहा जाता है। चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा अर्चना से भक्तों के समस्त पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती है। मां चंद्रघंटा की मुद्रा सदैव युद्घ के लिए अभिमुख रहने का होता है। गोगरी नगर पंचायत क्षेत्र के लाल दुर्गा मंदिर गोगरी, पुरानी कचहरी दुर्गा मंदिर भोजुआ, भगवान हाईस्कूल मैदान स्थित दुर्गा मंदिर, जमालपुर धर्मशाला मंदिर में भी भीड़ उमड़ रही है।

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