खगड़िया पश्चिमी केबिन ढाला पर पुल निर्माण कार्य नहीं हो सका शुरू , इंतजार
खगड़िया रेलवे स्टेशन के पास मथुरापुर रेलवे केबिन ढाला पर रेल ओवरब्रिज का निर्माण कार्य इस साल शुरू नहीं हो सका है, जबकि इसकी स्वीकृति दो-तीन साल पहले ही मिल चुकी थी। पुल निर्माण के लिए सभी प्रक्रियाएं...

खगड़िया। निज प्रतिनिधि खगड़िया रेलवे स्टेशन से पश्चिम मथुरापुर रेलवे केबिन ढाला पर प्रस्तावित रेल ओवरब्रिज निर्माण कार्य इस साल भी शुरू नहीं की जा सकी। जबकि यहां पर पुल निर्माण की स्वीकृति दो तीन साल पहले ही मिल चुकी है। यहां तक कि आवंटन भी बिहार सरकार ने दे दी है। पर, पुल निर्माण का कार्य की प्रक्रिया भी शुरू नहीं की जा सकी है। अब आने वाले साल में पुल शुरू होने की आस लगी है। शहर मुख्यालय स्थित मथुरापुर स्थित पश्चिमी केबिन ढाला पर आरओबी निर्माण को लेकर सारी प्रक्रिया भी पूरी है। यह आरओबी को करीब 95 करोड़ की लागत से निर्माण होना है। बता दें कि इसके लिए 2020 में सर्वें किया गया था। पुल का नक्सा बहुत पहले ही तैयार बताया जाता है। गत बजट में एक लाख रुपए भी आवंटित किए गए हैं। इधर अब मानसी केबिन ढाला पर रेल ओवरब्रिज की डीपीआर बनकर तैयार बताया जाता है। आरओबी बनने से मानसी स्टेशन से पश्चिमी भाग की ढाला पर जाम से राहत होने वाली है। इधर आईओडब्ल्यू खगड़िया की मानें तो शहर के पश्चिमी रेलवे केबिन ढाला पर आरओबी का निर्माण की सारी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है।
मानसी में आरओबी निर्माण के लिए डीपीआर बनकर है तैयार: जिले में तीन जगहों पर रेल ओरवब्रिज बनना है। पर, इस ओर उदासीनता दिख रही है। खगड़िया, मानसी व महेशखंूट रेलवे ढाला पर रेल ओवरब्रिज का निर्माण को लेकर प्रक्रिया हो तो गई है। पर, धरातल पर नहीं उतर रही है। महेशखंूट रेलवे ढाला पर 49.81 करोड़ की लागत से रेल ओवर ब्रिज का निर्माण की स्वीकृति कब का मिल चुकी है।
कई रूट के लिए गुजरती है ट्रेनें: पश्मिी केबिन ढाला होकर कई रूट के लिए ट्रेन गुजरती है। जिससे ट्रेनों का आना जाना अमूनन लगा ही रहता है। बता दें कि इस होकर बेगूसराय, बखरी, जमालपुर रूट के लिए टे्रन गुजरती है। वहीं अब तो खगड़िया से अलौली रेलखंड के लिए भी बीच-बीच में मालगाड़ी आती व जाती है। वहीं खगड़िया रैक प्वाइंट के कारण भी मालगाड़ी की आवाजाही लगी रहती है। ऐसे में ट्रेनों का आना जाना लगा ही रहता है। ढाला पर वाहनों का दवाब अधिक होने के कारण ट्रेन के आने से पहले से ही केबिन को गिराना पड़ जाता है। जिससे भी देर तक वाहन चालकों को जाम में फंसने की नियति हो रही है।
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