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मानसी-सहरसा रेलखंड उपेक्षित

एक ओर जहां देश में बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी हो रही है। वहीं आजादी के इतने साल बाद भी मानसी-सहरसा रेलखंड उपेक्षा का शिकार है। केन्द्र में सरकार बदलने के बावजूद इस रेलखंड की सूरत नहीं बदल सकी है।...

मानसी-सहरसा रेलखंड उपेक्षित
हिन्दुस्तान टीम,खगडि़याMon, 30 Oct 2017 11:31 PM
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एक ओर जहां देश में बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी हो रही है। वहीं आजादी के इतने साल बाद भी मानसी-सहरसा रेलखंड उपेक्षा का शिकार है। केन्द्र में सरकार बदलने के बावजूद इस रेलखंड की सूरत नहीं बदल सकी है। जबकि यह रेलखंड कोसी इलाके को राजधानी से जोड़ती है। हाल यह है कि इस रेलखंड के बीच बने रेलवे स्टेशन बदला घाट, धमारा घाट एवं फेनगो हॉल्ट कई समस्याओं से जुझ रहा है। उल्लेखनीय है कि मानसी जंक्शन से सहरसा की दूरी 42 किलोमीटर है। इस बीच खगड़िया जिला के अंतर्गत दो स्टेशन एवं एक फनगो हॉल्ट है। इस स्टेशनों में समस्याओं का अंबार है। प्रतिदिन हजारों यात्री करते हैं सफर: फरकिया क्षेत्र मेें आवागमन का एकमात्र साधन रेलवे ही है। इस रेलखंड से प्रतिदिन हजारों यात्री अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं। इसके बावजूद इस ओर न तो रेलवे के अधिकारियों का ध्यान है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों का। तभी तो इन स्टेशनों पर न तो प्रयाप्त यात्री शेड है। और ना ही प्लेटफार्म। ऐसे में यात्रियों की परेशानियों का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है।समस्याओं का है अंबार: मानसी स्टेशन से छह किलोमीटर की दूरी पर है बदला घाट स्टेशन। इस स्टेशन पर न तो पर्याप्त यात्री शेड है और न ही बैठने की सुविधा। वहीं प्लेटफार्म नहीं रहने के कारण भी यात्रियों को ट्रेन पर चढ़ने उतरने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं सबसे खराब बात यह है कि स्टेशन पर शौचालय नहीं है। इस कारण महिला यात्रियों को काफी परेशानी होती है। यही हाल धमारा घाट स्टेशन का भी है। यहां भी शौचालय नहीं रहने, प्लेटफार्म के अभाव में यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है। यहां तो बनने वाला प्लेटफार्म भी वषार्ें से अधूरा पड़ा है। इसे देखने वाला कोई नहीं है। कौन है जिम्मेदार: ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर उपेक्षा के शिकार होने के जिम्मेदार कौन हंै। आखिर इस स्टेशनों पर रेलवे की नजर कब पड़ेगी ? हालांकि तीन वर्ष पूर्व धमारा घाट स्टेशन पर राज्यरानी से कटकर 28 श्रद्घालुओं की मौत के बाद लगा था कि अब इस स्टेशनों का कायाकल्प होगा। लेकिन समय बीतता गया। और कुछ नहीं बदला। बस दोनों स्टेशनों पर एनाउंस की सुविधा दी गई। और धमारा घाट में फुट ओवर ब्रिज बना।

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