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कोसी व बागमती उफनाई, निचले इलाके में पानी

कोसी व बागमती नदियां उफान पर है। कोसी एवं बागमती का पानी नदी में भर जाने के बाद अब मैदानी इलाके में बाढ़ का पानी फैलने लगा है। इस कारण मैदानी इलाके में लगे फसल एवं घास डुबने लगी है। मंगलवार को दियारा...

कोसी व बागमती उफनाई, निचले इलाके में पानी
हिन्दुस्तान टीम,खगडि़याWed, 18 Jul 2018 01:06 AM
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कोसी व बागमती नदियां उफान पर है। कोसी एवं बागमती का पानी नदी में भर जाने के बाद अब मैदानी इलाके में बाढ़ का पानी फैलने लगा है। इस कारण मैदानी इलाके में लगे फसल एवं घास डुबने लगी है। मंगलवार को दियारा इलाके के कई मैदानी इलाकों में में बाढ़ का पानी फैलने की खबर है।

भरपुरा गांव से पूरब मैदानी इलाकों में बागमती नदी का पानी फैल गया। इस कारण कई एकड़ों में लगी फसल डूब गई। जबकि लालपुर-भरपुरा बांध पर भी बाढ़ का पानी फैल गया। इस कारण इस सड़क पर पूरी तरह से आवागमन ठप हो गया है। दूसरी ओर सोनवर्षा घाट स्थित दुर्गा मंदिर के चारों ओर भी बाढ़ का पानी फैल गया है। इस कारण मंदिर परिसर बाढ़ के पानी से घिर गया। इसके अलावा दियारा इलाके के मैदानी इलाके के सेतु में भी बाढ़ का पानी फैलने लगा है। बताया जाता है कि नेपाल की तराई में लगातार बारिश हो रही है।

इस कारण नेपाल बराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। इस कारण दोनों नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्घि भी हो रही है। हालांकि अभी भी खतरे के निशान से दोनों नदियों का जलस्तर नीचे है। इस कारण अभी बाढ़ का कोई खतरा नहीं है। लेकिन नदियों के जलस्तर में लगातर वृद्घि को देखते हुए बाढ़ आने की समस्या से दो चार होने की संभावना दिख रही है। इस संबंध में सीओ दयाशंकर तिवारी ने बताया कि दोनों नदियों के जलस्तर में वृद्घि तो हो रही है। लेकिन अभी बाढ़ जैसी कोई समस्या नहीं है।

बाढ़ आई तो डूब जाएगी हजारों एकड़ में लगी फसल : कोसी और बागमती नदी जिस रफ्तार से बढ़ रही है। उस हिसाब से लग रहा है कि कहीं इस वर्ष भी बाढ़ ना आ जाय। लोंगोे को आशंका है कि अगर बाढ़ आई तो दियारा क्षेत्र के मैदानी इलाके के हजारों एकड़ खेत मे लगी फसल डूब जाएगी। बता दें कि चौथम प्रखण्ड का चार पंचायत पूर्ण रूपेण और तीन पंचायत आंशिक रूप से कोसी एवं बागमती नदी से घिरा हुआ है। पिछले वर्ष को छोड़ दिया जाय तो पिछले कई वषोंर् से दियारा क्षेत्र में बाढ़ नहीं आई। जिस कारण दियारा क्षेत्र के किसान भी धान आदि की खेती करने लगे। यही कारण है कि इस वर्ष भी कई एकड़ खेतों में अभी घास लगी हुई है। मक्का का फसल लगा हुआ है। काश है।

ऐसे में अगर बाढ़ आई तो दियारा के खेतों में लगी फसल डुब जाएगी। जिस कारण किसानों को लाखों की क्षति होगा। दूसरी ओर बाढ़ आने के बाद स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र से लेकर स्वास्थ्य सुविधाएं भी बंद हो जाती है। जबकि टापू में तब्दील गांव के लोंगो को घर से निकलने के साथ ही नावों की सवारी करनी पड़ती है। ऐसे में बाढ़ पीड़ितों का हाल बेहाल हो जाता है। गत वर्ष 2017 में भी बाढ़ पीड़ितों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। लगभग 7 हजार बाढ़ पीड़ित राहत राशि से वंचित रह गये थे।

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