जिलास्तरीय जॉब कैंप का आयोजन 31 दिसंबर को
शिव चर्चा:जिलास्तरीय जॉब कैंप का आयोजन 31 दिसंबर कोजिलास्तरीय जॉब कैंप का आयोजन 31 दिसंबर कोजिलास्तरीय जॉब कैंप का आयोजन 31 दिसंबर को

जिलास्तरीय जॉब कैंप का आयोजन 31 दिसंबर को खगड़िया। निज प्रतिनिधि
जिला स्तरीय जॉब कैंप 31 दिसंबर को शहर स्थित जिला निबंधन परामर्श केंद्र में लगेगा। प्राइवेट कंपनी द्वारा सेल्स रिप्रेजेंटेटिव के 20 पदों पर बेरोजगार युवाओं का चयन का मौका मिलेगा। इधर जिला नियोजन पदाधिकारी राणा अमितेश ने शनिवार को बताया कि जॉब कैंप नि:शुल्क लगाया जा रहा है। इच्छुक उम्मीदवार जरूरी कागजात के साथ सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक भाग ले सकते हैं।
फ्लायर:
सरकारी उपेक्षा के कारण मगही पान की खेती से विमुख हो रहे किसान
जिले के गोगरी व चौथम प्रखंड के दर्जनभर गांवों में होती है पान की खेती
झुलसा रोग लगने पर किसानों को नही मिल पाती है क्षतिपूर्ति
किसान 2009 में खेती के लिए अनुदान आदि की कर चुके हैं मांग
सरकारी सुविधा नही मिलने से पान की खेती छोड़ कर रहे हैं रोजगार के लिए परदेश की ओर पलायन
महेशखूंट। एक प्रतिनिधि
मगही पान की खेती के लिए मशहूर गोगरी प्रखंड के गौछारी, खटहा, महेशखूंट, हरंगी टोला, कैथी, परबत्ता प्रखंड के बैसा, चौथम प्रखंड के धुतौली मालपा सहित दर्जनभर गांवों के किसानों पान की खेती से विमुख हो रहे हैं। पान कृषकों को मेहनत व लागत अधिक और आमदनी कम के कारण किसान इस खेती को छोड़ दूसरे खेती को अपना रहे हैं। गोगरी प्रखंड अन्तर्गत गौछारी गांव के वृद्ध किसान परमेश्वर मंडल ने बताया कि सरकारी उपेक्षा के कारण उनके बाल बच्चे इस खेती से विमुख हो रहे हैं। गौछारी, महेशखूंट, हरंगी टोला, खटहा आदि गांवों में चौरसिया बिरादरी के किसान इस खेती को पारंपरिक तरीके से कई वर्षों से करते आ रहे हैं। पहले यहां का पान बड़े पैमाने पर जिला मुख्यालय के अलावा गया, वाराणसी, समस्तीपुर, पटना के अलावा कोलकाता तक भेजा जाता था आज निर्यात होना बंद हो गया है। पानी की खेती में किसी भी तरह की आधुनिकता नहीं दिखती है। कृषि में नई क्रांति, सिंचाई में आधुनिकता के बावजूद किसान पानी की खेती को मिट्टी के घड़े से पटवन करते हैं। सरका और पुआल से बरेव का छजनी करते हैं। खटहा गांव निवासी किसान मनोरंजन चौरसिया ने बताया कि पान की खेती में मेहनत और लागत अधिक लगती है पर आमदनी उस अनुपात में नहीं होती है। पान की खेती पर जब झुलसा रोग हो जाता है तो किसानों की कमर टूट जाती है। पूरी पूंजी डूब जाती है। पान के पत्ते पर रोग होने पर कोई भी अधिकारी देखने नहीं पहुंचते हैं। किसानों ने बताया कि मजदूरों की कमी के कारण स्वयं पान की रोपाई, पटवन व बरेव की छजनी करते हैं। किसानों ने बताया कि अगर खेती सुधर जाती है जिन्दगी खुशहाल कर देती है। एक कट्ठा की खेती में एक लाख से अधिक की आमदनी प्राप्त होती है। वही किसान प्रमोद महतो, जागेश्वर चौरसिया, गणपत चौरसिया आदि ने बताया कि पान के किसानों को क्षतिपूर्ति देकर पान खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है।
क्या कहते हैं पान की खेती करने वाले किसान : गौछारी गांव के किसान पांचू चौरसिया,सत्तो महतो, गरीब चौरसिया, परमेश्वर मंडल आदि ने बताया कि सरकार की दोहरी नीति के कारण यहां खेती पर अनुदान नहंी मिल रहा है। जबकि बिहार के कई जिलों में पान की खेती करने वाले किसानों को अनुदान दिया जा रहा है। खगड़िया में मुख्यमंत्री के आश्वासन बाद भी किसानों को अनुदान नहीं दिया जा रहा है। पान की खेती में इतना नुक़सान हाल के वर्षों में हुआ कि किसान क़र्ज़ में डूबते चले गए। घर व परिवार छोड़कर पंजाब दिल्ली नौकरी की चले गए। गौछारी गांव के सैकड़ों किसान पान की खेती छोड़कर लगातार पलायन कर रहे हैं। यहां सरकारी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। बिहार में पान अनुसंधान केन्द्र की स्थापना के बाद भी पान की खेती करने वाले किसानों की हालत में सुधार नहीं हो रही है।
बोले अधिकारी:
पान की खेती करने वाले किसानों के लिए सरकार कई योजनाएं लेकर आई है। उद्यान विभाग पान की खेती करने वाले किसानों को अनुदान दे रही है। जानकारी के अभाव में किसान अनुदान का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इसके लिए प्रचार प्रसार कराकर किसानों को जागरूक किया जाएगा।
अविनाश कुमार, डीएओ, खगड़िया।
फोटो: ़14
कैप्शन: गोगरी प्रखंड अन्तर्गत गौछारी गांव में पान की देखभाल करते किसान।
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