Emergency Room Crisis Staff Shortage Causes Chaos in Khagaria Hospital मात्र दो एएनएम व एक वार्ड अटेंडेंट के सहारे चल रहा है इमरजेंसी कक्ष, Khagaria Hindi News - Hindustan
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मात्र दो एएनएम व एक वार्ड अटेंडेंट के सहारे चल रहा है इमरजेंसी कक्ष

मात्र दो एएनएम व एक वार्ड अटेंडेंट के सहारे चल रहा है इमरजेंसी कक्ष मात्र दो एएनएम व एक वार्ड अटेंडेंट के सहारे चल रहा है इमरजेंसी कक्ष मात्र दो एएनएम

Newswrap हिन्दुस्तान, खगडि़याThu, 26 Dec 2024 01:20 AM
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मात्र दो एएनएम व एक वार्ड अटेंडेंट के सहारे चल रहा है इमरजेंसी कक्ष

खगड़िया, नगर संवाददाता। सदर अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में हमेशा मरीजों की भीड़ लगी रहती है। आलम यह है कि रात में भी नियमित अंतराल पर मरीजों की आवाजाही होते रहती है। कई बार तो एक साथ ही कई जख्मी इलाज कराने के लिए सदर अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में पहुंच जाते हैं, लेकिन इमरजेंसी में तैनात कर्मियों की कमी के कारण अफरातफरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। औसतन मामूली चोट से लेकर गंभीर चोटें, गोलीबारी आदि की घटनाओं को लेकर लगभग दो सौ मरीजों का इलाज होता है। इसके लिए प्रत्येक शिफ्ट में मात्र दो एएनएम, एक वार्ड अटेंडेंट के सहारे ही इमरजेंसी कक्ष का संचालन चल रहा है। ऐसे में मरीजों की समस्याओं को आसानी से समझा जा सकता है, लेकिन किस दिन बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाएगी। इसका किसी को पता नहीं है। लगभग एक पखवारे पूर्व एनएच 31 परमानंदपुर के निकट ऑटो व ई रिक्सा की टक्कर में आठ जख्मी एक साथ पहुंचे थे। इसके कारण इमरजेंसी में जहां सिर्फ छह ओटी बेड रहने के कारण दो मरीजों को फर्श पर रखना पड़ा था। वहीं इन आठों मरीजों को एक साथ इलाज किए जाने के कारण कर्मियों की कमी से अफरातफरी की स्थिति उत्प्न्न हो गई थी। हालांकि काफी मशक्कत के बादमरीजों का इलाज किया गया था, लेकिन इस बीच कम कर्मियों केकारण देर से जिन मरीजों का नंबर आया। वह दर्द से कराहता हुआ स्पष्ट दिख रहा था। सदर अस्पताल में प्रशिक्षु नर्सिंग छात्रों का सहारा लेना पड़ रहा है। आलम यह है कि दो एएनएम व एक वार्ड अटेंडेंट किसी तरह से प्रशिक्षु नर्सिंग छात्रों के सहारे इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का इलाज किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इन प्रशिक्षु छात्रों द्वारा छोटे कटे फटे अंग का किसी तरह से सिलाई तो की जा रही है,लेकिन गंभीर चोट अथवा जख्म की स्थिति में ऐसे मरीजों का समुचित इलाज इन प्रशिक्षु छात्रों द्वारा नहीं किया जा सकता है। ऐसे में परेशानी बढती है। बताया जा रहा है कि इमरजेंसी ड्यूटी में आठ घंटे की तीन शिफ्टों में डॉक्टर तैनात रहते हैं। ऐसे में इन डॉक्टरों द्वारा तो मरीजों को उनके जख्म अथवा अन्य मामलों में सलाह दी जाती है, लेकिन ड्रेसर का पद रिक्त रहने के कारण स्थिति कई बार विकराल हो जाती है। बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में कर्मियों के पदस्थापन में बरती जा रही सुस्ती के कारण किसी दिन खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इमरजेंसी कक्ष में कर्मियों की कमी होने के कारण इलाज में होने वाली परेशानियों के कारण कई बार धक्का-मुक्की भी हो चुकी है। हालांकि इस दौरान ऑन ड्यूटी तैनात कर्मी किसी तरह से अपनी चतुराई से मामलों का निष्पादन करते हैं।

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