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बांध बचाने के लिए दिन-रात पर चल रहा काम

सदर प्रखंड के ओलापुर-गंगौर व चंद्रपुरा के बीच बूढ़ी गंडक नदी के धंसने के बाद बांध को बचाने का काम गुरुवार को भी दूसरे दिन भी युद्धस्तर पर चल रहा है। बुधवार की देर शाम बूढ़ी गंडक के इस बांध के लगभग...

बांध बचाने के लिए दिन-रात पर चल रहा काम
हिन्दुस्तान टीम,खगडि़याFri, 07 Aug 2020 03:55 AM
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सदर प्रखंड के ओलापुर-गंगौर व चंद्रपुरा के बीच बूढ़ी गंडक नदी के धंसने के बाद बांध को बचाने का काम गुरुवार को भी दूसरे दिन भी युद्धस्तर पर चल रहा है। बुधवार की देर शाम बूढ़ी गंडक के इस बांध के लगभग 70 से 80 प्रतिशत भाग धंस चुका था। बांध के के धंसने की खबर जैसे ही स्थाीनय लोगों को मिली लोगों में अफरा तफरी मच गई। आनन-फानन में स्थानीय लोगों ने पेड़ों की टहनियों को काटकर देना शुरू किया। इसके बाद धीरे-धीरे प्रशासनिक पदाधिकारी पहुंचे और बांध को बचाने के काम को पूरी गति दी गई।

अधिकारियों के देखरेख में पूरी रात जेनरेटर चलाकर काम किया जा रहा था। जिससे बांध को बचाया जा सके। हालांकि क्षतिग्रस्त बांध के निकट ही सैकड़ों बोरा मिट्टी भरकर रखा हुआ था। इसके कारण शुरुआती दौर में क्षतिग्रस्त तटबंध पर तेजी के साथ संैड बैग की कैरेटिंग कराई जा रही थी।

रात में तेज हवा के कारण बढ़ी थी चिंता: बुधवार की रात जब बांध धंसा था तो उस समय एक ओर अफरातफरी मची हुई थी तो दूसरी ओर तेज हवा व बंूदाबांदी बारिश के कारण थोड़ी ज्यादा चिंता थी लेकिन इसके बावजूद भी स्थानीय लोगों की मदद से बांध के मरम्मत का काम पूरा किया जा रहा था। इस दौरान हर व्यक्ति बांध के बचाव को लेकर लगातार प्रयास किया जा था। जिससे वहीं बोरा भरने के बाद क्षतिग्रस्त स्थल पर बंबू पाइलिंग कराई गई। जिससे जब बोरा बांध के किनारे दी जाय तो बोरा नदी के तेज धारा में बह न जाए। इस दौरान बांध के मरम्मती के काम में लगे काफी संख्या में एक्सपर्ट मजदूर भी काम कर रहे थे।

हर व्यक्ति एक ही बात कह रहे थे कि आखिर बांध बचे। नहीं तो खगड़िया जिला समेत सीमावर्ती जिले के कई गांव भी बाढ़ के चपेट में आ जाएगा। इधर बांध की मिट्टी रात में कटकर गिरने की आवाज से ही लोगों के बीच अफरातफरी की स्थिति बनी हुई थी। शुरूआती दौर में भले ही मरम्मत का काम किया जा रहा था लेकिन लोगों के बीच बांध के टूटने का डर बना हुआ था कहीं तेज कटाव की कारण बांध पूरी तरह से न कट जाए।

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