विभागीय अनदेखी का शिकार है फलका का एकमात्र हाट, परेशानी
प्रखंड क्षेत्र का एकमात्र हाट विभागीय अनदेखी के शिकार का है। सरकार को सालाना लगभग नौ लाख की राजस्व के बाद भी हाट जीर्ण शीर्ण अब सिमटने के कगार पर है। प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार को लगन ेवाले हाट में...
प्रखंड क्षेत्र का एकमात्र हाट विभागीय अनदेखी के शिकार का है। सरकार को सालाना लगभग नौ लाख की राजस्व के बाद भी हाट जीर्ण शीर्ण अब सिमटने के कगार पर है। प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार को लगन ेवाले हाट में भारी पैमाने पर लोग सौदा करने आते हैं।
गांव ग्राम के लोग हाट में आकर तीन से चार दिन तक के लिए जरूरी के समान खरीद कर घर ले जाते हैं। हाट में मीट, मछली, अंडा के अलावा तमाम तरह के सब्जी के साथ साबुन, तेल, वस्त्र, काठ से निर्मित वस्तु, मिट्टी के बर्तन, चूड़ियां व मनिहारी सामान की बिक्री एवं खरीदारी करते हैं। लगभग एक एकड़ में हाट का क्षेत्रफल होने के कारण क्षेत्र के खरीदारों का जमवाड़ा लगता है। लेकिन दुकानदारों से लेकर खरीददारी करने वाले ग्राहकों के लिए हाट में सुविधाओं का घोर अभाव है। हाट में दुकानदारों व ग्राहकों के सुविधा के लिए शेड का अभाव रहने से बारिश आंधी व तूफान में भारी परेशानियों से जुझना पड़ता है। दुकानदारों को भी चिलचिलाती धूप में लगाना मजबूरी बनी हुई है। वहीं आमलोगों को नित्य क्रिया की आवश्यकता पड़ने पर शौचालय नहीं रहने के कारण परेशानी होती है। हाट परिसर में महज एक चापाकल है जो नाकाफी है। इस बावत स्थानीय व्यवसायी राज कुमार चौधरी, मो. कमाल, लक्ष्मण भगत, मो.समीद, राजेन्द्र साह, शिव शंकर साह, तपेश दास, वासुदेव साह आदि बताते हैं कि बहुत पहले इस हाट में नेपाल के मोरंग जिले सहित दूर दूर से सागवान सखुआ निर्मित पलंग, चौकी, टेबल, कुर्सी, ओखली, समाठ आदि की दुकानें सजती थीं। उस समय फलका हाट के प्रसिद्धि काफी दूर दूर तक थी। विभाग की उदासीनता से दो दशक पूर्व हाट में निर्मित शेड क्षतिग्रस्त हो गया है।