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कटिहार विधानसभा चुनाव में 101 उम्मीदवारों में सिर्फ 15 महिलाएं

समय-समय पर महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने, उनके हक-हकूक की लड़ाई व सत्ता में भागीदारी दिलाने का दावा करनेवाले राजनीतिक दलों की जमीनी हकीकत इस चुनाव में सामने आ गई है। जिले के सात विधानसभाई सीटों पर...

कटिहार विधानसभा चुनाव में 101 उम्मीदवारों में सिर्फ 15 महिलाएं
हिन्दुस्तान टीम,कटिहारThu, 05 Nov 2020 03:20 AM
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समय-समय पर महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने, उनके हक-हकूक की लड़ाई व सत्ता में भागीदारी दिलाने का दावा करनेवाले राजनीतिक दलों की जमीनी हकीकत इस चुनाव में सामने आ गई है। जिले के सात विधानसभाई सीटों पर किस्मत आजमा रहे 101 उम्मीदवारों में केवल 15 महिला प्रत्याशी मैदान में है।

दुखद पहलु है कि इसमें से केवल पांच को ही राजनीतिक दल अपने टिकट पर लड़ा रहे हैं। 65 बलरामपुर से लोकजनशक्ति पार्टी ने संगीता देवी को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं 66 प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र से दिवंगत मंत्री विनोद कुमार सिंह की पत्नी निशा सिंह को भाजपा ने टिकट दिया है। जबकि मनिहारी से झामुमो ने फूलमणि हेम्ब्रम पर दाव लगाया है।

इसी तरह बड़े दलों में से कांग्रेस ने पूनम पासवान को तो भाजपा ने पूर्व विधायक महेश पासवान की पत्नी कविता देवी को तथा एनसीपी ने मंजू देवी को चुनाव मैदान में उतारा है। इस मामले में जदयू तथा राजद ने जिले में एक भी महिला प्रत्याशी को चुनाव मैदान में नहीं उतारा है। इसी तरह छोटे दलों व निर्दलीय रुप से चुनाव लड़नेवालों में कटिहार से निर्दलीय पूनम देवी तो पीपीआई से मीनाक्षी कुमारी भाग्य आजमा रही है। इसी तरह कदवा से पीपीआई से नुशरत परवीन व निर्दलीय मीनू कुमारी चुनाव मैदान में है। जबकि प्राणपुर से पूर्व जिपअध्यक्ष इशरत परवीन निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ रही है। जबकि मनिहारी से एआईएमआईएम से गोरेती मुर्मू तो शोभा सोरेन व मीनाक्षी श्वेता निर्दलीय मैदान में है।

इसी तरह बरारी से तनुजा खातुन निर्दलीय भाग्य आजमा रही है। बताते चलें कि जिले में कुल मतदाताओं की संख्या 20 लाख 39 हजार 848 है। जिसमें महिला मतदाताओं की संख्या 9 लाख 91 हजार 04 है। यानि ये महिला वोटर किसी भी ओर चुनाव परिणाम का रुख मोड़ने की मद्दा रखती है। राजनीतिक दलों को आधी आबादी का तो समर्थन चाहिए लेकिन वे कंडिडेट नहीं देंगे। हलांकि यह पहला मौका नहीं है जब जिले की आधी आबादी विभिन्न राजनीतिक दलों से उपेक्षित हुई हो। इससे पूर्व भी टिकट पाने की होड़ में महिलाओं के अधिकार गुम हुए है।

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