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एमडीएम : बोरे के रुपए जमा नहीं की तो हो सकती है कार्रवाई

कटिहार | हिन्दुस्तान प्रतिनिधि वित्तीय वर्ष 2014-15 व 2015-16 में स्कूलों में एमडीएम में...

एमडीएम : बोरे के रुपए जमा नहीं की तो हो सकती है कार्रवाई
हिन्दुस्तान टीम,कटिहारTue, 03 Aug 2021 06:21 AM
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कटिहार | हिन्दुस्तान प्रतिनिधि

वित्तीय वर्ष 2014-15 व 2015-16 में स्कूलों में एमडीएम में चावल उपयोग के बाद खाली पड़े बोरे की बिक्री की राशि जमा करने सम्बन्धी विभागीय आदेश से एचएम के पसीने छूट रहे हैं। लेकिन सच तो ये है कि इस मामले में एमडीएम विभाग जितने उदासीन रहे उससे कहीं ज्यादा एचएम भी लापरवाह रहे। यह सही है कि 2016 में पत्र लिखने के बाद एमडीएम विभाग पटना ने इस सम्बन्ध में कोई मॉनेटरिंग नहीं की लेकिन यह भी सवाल है कि आखिर निर्देश के बाद एचएम ने बिक्री की खाली बोरे की राशि जमा क्यों नहीं की। यह विभागीय आदेश की अवहेलना है। विभाग चाहे तो इसे गवन का मामला बना सकता है। यदि ऐसा हुआ तो फिर इन हेडमास्टरों को लेनी के देनी पड़ सकते हैं।

राशि जमा नहीं हुई तो बन सकता है गवन का मामला: जानकारी यह है कि अगर खाली बोरे की राशि जमा नहीं हुई तो विभाग इसे गवन का मामला मानते हुए आगे की कार्रवाई भी कर सकती है। यदि ऐसा हुआ तो फिर गाज एचएम सह एमडीएम संचालक पर ही गिरेगी। चाहे वो रिटायर हुए हो या ट्रान्सफर। उत्क्रमित मध्य विद्यालय कटरिया के हेडमास्टर अवधेश सिंह एवं खेरिया के हेडमास्टर राजबलि सिंह सहित दर्जनों ने बताया कि लगता है उन्हें अपने वेतन से ही राशि जमा करनी होगी क्योंकि पांच साल का बोरा सही सलामत नहीं है। यहां बता दें कि इन दो वित्तीय वर्ष में 3 लाख 58 हजार 312 बोरे की जमा करनी होगी जिसका कीमत 35 लाख 83 हजार 120 रुपये होता है। इस सम्बन्ध में एमडीएम निदेशक ने इस राशि को विभाग के खाते में जमा करने के निर्देश दिये हैं।

निदेशक ने दिया था निर्देश: यहां बता दें कि मध्या0 भोजन योजना के निदेशक ने 8 जून 2016 के पत्रांक 1020 व 26 दिस्मबर 2016 के पत्रांक 2243 के माध्यम से सभी जिले के एमडीएम डीपीओ को निर्देश दिया गया था कि वे एचएम के माध्यम से मध्या0 भोजन में इस्तेमाल खाली बोरे को दस रुपये की दर से विभाग के खाते में जमा करा दें।

कुछ हेडमास्टर ने अमल किया तो कईयों नहीं : जिला मुख्यालय स्थित एमडीएम कार्यालय से पता चला कि इस निर्देश के बाद कुछ हेडमास्अरों ने इस पर अमल किया लेकिन वह भी कुछ दिनों तक ही। इसके बाद विभाग के साथ-साथ सम्बन्धित एचएम सह एमडीएम संचालक भी गहरी निन्द्रा में सो गये। पांच साल बाद जब फिर निर्देश आया तो अब इनके हाथ-पैर फुलने लगे हैं। कहा जाता है कि यदि एचएम उसी समय विभागीय निर्देश का पालन करते हुए खाली बोरे की राशि जमा कर देते तो यह नौबत नहीं आती। लेकिन वे ऐसा किये नहीं। वहीं हेडमास्टरों की निंद इस सख्ती ने उड़ा दी है।

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