बैर की खेती कर मिसाल बने पांच किसान
बैर की खेती से किसान अब सुधारेंगे दशा और दिशा। लागत मूल्य से ज्यादा आय होने के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति भी समृद्धि...
बैर की खेती से किसान अब सुधारेंगे दशा और दिशा। लागत मूल्य से ज्यादा आय होने के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति भी समृद्धि होगी। इतना ही नहीं जिले के बाजार के लिए बिहार बंगाल की दूरी भी कम करने को आतुर हैं बैर खेती करने वाले किसान। जी हां कुछ ऐसा ही करने को कटिबद्ध है बैर खेती करने वाले किसान रमेश सिंह व उनका परिवार।
पिछले 2014 से बैर की खेती करनेवाले किसान रमेश सिंह व सुरेश सिंह अपनी आर्थिक स्थिति को समृद्ध कर किसानों के लिए प्रेरणा साबित हो रहे हैं। हालांकि बैर के लिए पश्चिम बंगाल प्रसिद्ध माना जाता है। पश्चिम बंगाल से बैर का आवक होता है। जनवरी का महीना इस बार पर्व त्योहार के लिए अत्यधिक जाना जायेगा। जनवरी माह में मकर संक्राति, माघी पूर्णिमा से लेकर सरस्वती पूजा होने को लेकर मौसमी फल खासकर बैर की मांग भी अधिक होने की प्रबंल संभावना माना जाता है। बैर की खेती करने वाले किसान रमेश सिंह कहते हैं कि बैर की खेती के साथ अलुआ(सकरकंद) या आलू की खेती भी आसानी से किया जा सकता है। इस तरह एक ही समय में दोहरा लाभ होने से किसानों की आर्थिक स्थिति और सुधरेगी। वे पिछले चार साल से पांच कट्ठा में बैर की खेती करते आ रहे हैं। सबसे अच्छी बात कि बिना मेहनत और कम खर्च में अत्यधिक आय प्राप्त किया जा सकता है।
आसान है बैर की खेती : कृषक श्री सिंह कहते हंै कि बालू मिट्टी हो या मटियार सभी मिट्टी में कड़क या गोला नश्ल बैर की खेती आसानी से किया जा सकता है। इस तरह के बैर में खूबी होता है कि यह कांटा रहित होता है। इसको लगाने का समय मार्च अप्रैल सुगम माना जाता है। जबकि इसमें फलन नवम्बर से शुरू होकर जनवरी फरवरी तक खत्म हो जाता है। साल में एक से दो बार पटवन व एक बार तामने से काम तमाम हो जाता है। खासियत यह है कि इसमें डेड़ से दो फीट पानी में भी पौधा गलता नहीं है। फलन होने के समय डीएपी, पोटाश, बोरन आदि ताकत के लिए दिया जाता है। खेतों में घास को मारने के लिए ग्रामोक्सन का स्प्रे को सही बताया। जिले में दो तरह के फसलों का उत्पादन किया जा रहा है। हालांकि फल टूटने के बाद हर साल पौधों को डेढ़ फीट छोड़कर काट दिया जाताहै। जिससे साल भर का जलावन केरुप में उपयोग किया जा सकता है।
जिले में पांच किसान करते हैं खेती : जिले में मात्र पांच किसान 2014 से बैर की खेती करते आ रहे हैं। सिरसा के अरविंद सिंह उर्फ अनिल सिंह पांच सौ पौधा, रमेश सिंह दो सौ , सुरेश सिंह दो सौ, नागेन्द्र सिंह पांच सौ एवं मनसाही बथना में कैलाश बिहारी सिंह लगभग छह सौ पौधे लगाकर अपनी आय को समृढ़ कर दूसरों के लिए मिसाल बने हुए हैं। सबसे बड़ी बात है कि एक बार बैर का पौधा लगाने पर अगले दस साल तक इसका लाभ मिलता है। कृषक श्री सिंह कहते हैं कि बैर का छोटा पौधा आज से चार साल पहले 120 रुपये प्रति पीस कुल डेढ़ सौ पौधा पांच कठ्ठा में लगाया था। हर साल इससे पचास से साठ हजार रुपया आसानी से बिना मेहनत किये प्राप्त किया जा सकता है। आपदा व किसी कहर का भी भय नहीं रहता है।
कहते हैं कृषि वैज्ञानिक : कृषि वैज्ञानिक एके दास कहते हैं कि गोला और कड़क नश्ल की खेती ये सभी किसान करते हैं। जो कहीं भी आसानी से किया जा सकता है। पकने पर हरा रंग का ही होता है इसका फल ज्यादा रसीला होता है। अन्य उपजाऊ व ऊंची भूमि पर इसकी खेती की जा सकती है। साथ ही कहा कि कम लागत में अधिक मुनाफा होता है। जिले के किसानों को उन्होंने इसकी खेती ज्यादा से ज्यादा करने पर बल दिया। जिससे किसानों की स्थिति समृद्ध हो सकती है।