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अमरूद की खेती ने लिया व्यवसायिक रूप, समृद्ध हो रहे किसान

राज्य में पटना, वैशाली, आरा, पूर्णिया के बाद अब कटिहार में अमरूद की खेती ने व्यवसायिक रूप ले लिया है। जिले के 16 प्रखंड में से 7 प्रखंडों में क्रमश: कटिहार, हसनगंज, कोढ़ा, मनसाही, समेली, बरारी सहित...

अमरूद की खेती ने लिया व्यवसायिक रूप, समृद्ध हो रहे किसान
हिन्दुस्तान टीम,कटिहारThu, 27 Jun 2019 10:37 PM
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राज्य में पटना, वैशाली, आरा, पूर्णिया के बाद अब कटिहार में अमरूद की खेती ने व्यवसायिक रूप ले लिया है। जिले के 16 प्रखंड में से 7 प्रखंडों में क्रमश: कटिहार, हसनगंज, कोढ़ा, मनसाही, समेली, बरारी सहित कदवा प्रखंड में अमरूद की खेती का क्षेत्रफल का रकवा बढ़ा है।

ज्ञात हो कि पूरे देश में अमरूद का उत्पादन वर्ष में दो बार होता है लेकिन इस क्षेत्र में तीन बार उत्पादन किया जाता है। इसकी बागवानी प्राय: सभी प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। दूसरे फल की अपेक्षा अधिक गर्मी और सूखा सहन करने की क्षमता अमरूद के पेड़ में होती है। विभिन्न प्रकार की भूमि एवं जलवायु के प्रति अनुकूलता, कम व्यय, सरल बागवानी एवं आन्तरिक गुणों के कारण अमरूद की बागवानी की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। इसे चिकित्सकों ने दिल के मरीज के लिए फायदेमंद बताया है। जिले में उत्पादित होने वाले अमरूद की खासियत है कि यहां पर वर्ष में तीन बार उत्पादन होता है। मुख्यत: मार्च- अप्रैल एवं जुलाई-अगस्त के फूलों में फल लगते हैं जबकि इस जिले में नवम्बर- दिसम्बर में भी फूल लगते हैं जो फरवरी में पकता है। बताया जाता है कि 8-10 वर्ष के पूर्ण विकसित पेड़ से दो से ढाई क्विंटल फल प्रतिवर्ष किसान उत्पादित कर रहे हैं। जिले में इलाहाबादी सफेद किस्म में सरदार लखनऊ-49 के अलावा हब्सी, बेदाना, हरिझा एवं लालगूदा अमरुद की खेती की जा रही है।

फलस्वरुप जिले में इसकी बागवानी को व्यवसायिक रूप दिया जा रहा है।

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