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पशुचारे का आभाव ,परेशानी

कटिहार ।वैश्विक महामारी के रूप में उत्पन्न कोरोना की आग में पशु चारे भी झुलस चुके हैं। मौसम के मिजाज बदलने के कारण पिछले पखवाड़े में तेज आंधी तूफान के साथ हुई बारिश ने खासकर गेहूं किसानों को पूरी तरह...

पशुचारे का आभाव ,परेशानी
हिन्दुस्तान टीम,कटिहारSat, 16 May 2020 02:06 AM
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कटिहार ।वैश्विक महामारी के रूप में उत्पन्न कोरोना की आग में पशु चारे भी झुलस चुके हैं। मौसम के मिजाज बदलने के कारण पिछले पखवाड़े में तेज आंधी तूफान के साथ हुई बारिश ने खासकर गेहूं किसानों को पूरी तरह से तबाह कर दियाः जिसके कारण लगभग 20 फ़ीसदी फसल पानी में भीगने के कारण खेतों में बर्बाद हो गया। वही गेहूं तैयारी के बाद बारिश होने के कारण खलिहान में रखे गेहूं का भूसा भीग जाने से पशु चारा का संकट जिले में मंडराने लगा है ।बताते चलें कि वर्तमान दौर में मक्के की कीमत 9 सौ रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। जबकि पशु चारा के रूप में प्रयोग किए जाने वाले गेहूं का भूसा एक हजार रुपये से लेकर 15 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से पशुपालकों को खरीदना पड़ रहा है। जिसके कारण पशुपालकों को इन दिनों काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पशुपालकों की माने तो अभी जेठ माह में गेहूं के भूसा का दर आसमान छूने लगा है तो आने वाले सावन भादो के समय इसकी कीमत दो हजार प्रति क्विन्टल हो जाए तो इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।

अगस्त माह से पहले हरा पशु चारा कि नहीं है संभावना

पशु चारा के संकट को लेकर पशुपालकों में से प्रसादी यादव, राम नरेश यादव ,गोपाल मंडल, धनेश्वर महतो , रामखेलावन सिंह सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि वैशाख माह में हुई बारिश के कारण पशुपालकों के लिए पशु चारा का संकट उत्पन्न हो गया है। अब मई माह में बुआई के बाद हरा चारा के रूप में उत्पन्न घास सहित अन्य अगस्त माह से पहले उपलब्ध होने की संभावना नहीं है। इस दौरान पशुपालकों को गेहूं का भूसा खरीद के मवेशियों की को खिलाने की मजबूरी बन गई है। वही लॉक डाउन के कारण बोरा बंद चारा बाजारों में उपलब्ध नहीं है । जिससे मवेशियों के रखरखाव के साथ उसके भोजन की माकूल व्यवस्था की जा सके। इन पशुपालकों ने बताया कि जिले के हाजीपुर मोहल्ला से धान के पुआल का कुट्टी काटकर ठेला के माध्यम से गांव गांव उसकी आपूर्ति स्थानीय व्यापारियों के माध्यम से होता है। उसके कीमत की चर्चा करते हुए पशुपालकों ने बताया कि वह चारा भी हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से उपलब्ध होता है ।पशुपालकों ने बताया कि ऐसे समय में मजबूरन मक्का का सूखा हुआ घास खिलाने की मजबूरी बन गई है ।ऐसी विषम परिस्थिति में जिले में लगभग 5 लाख से अधिक दुधारू पशुओं के अलावा अन्य पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करना गंभीर चुनौती बनते जा रहा है।

कहते हैं जिला पशुपालन पदाधिकारी इस बाबत जिला पशुपालन पदाधिकारी डा.प्रमोद कुमार महतो ने बताया कि कोरोना संकट को लेकर लगाए गए लॉक डाउन के तहत पशुपालकों की समस्या को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग को लिखित जानकारी दी गई है। आपदा राहत कोष से निर्देश दिए जाने के बाद चारा संकट की समस्या का समाधान किया जाएगा।

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