जेडीयू का प्रदेश युवा सचिव साइबर ठगी में पकड़ा गया, घर से ही फ्रॉड नेटवर्क चला रहा था हर्षित?
संक्षेप: जेडीयू का प्रदेश युवा सचिव हर्षित कुमार के घर से लैपटॉप, सिम और संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं। छापेमारी के बाद ईओयू उसे सुपौल से पटना ले गई। उससे पूछताछ के बाद साइबर ठगी के बड़े गिरोह का पर्दाफाश हो सकता है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का प्रदेश सचिव हर्षित कुमार को साइबर ठगी के मामले में पकड़ा गया है। साइबर फ्रॉड से जुड़े इनपुट के आधार पर सुपौल जिले की पुलिस और पटना से आई आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की टीम ने करजाइन थाना क्षेत्र के गोसपुर गांव में रविावार को छापेमारी की। यहां से युवा जदयू प्रदेश सचिव हर्षित कुमार को हिरासत में लेकर पटना ले गई। उसके पास से स्पेशल टीम ने कुछ मशीनें, लैपटॉप और कई संदिग्ध दस्तावेज भी बरामद किए। बताया जा रहा है कि हर्षित घर से ही साइबर ठगी का नेटवर्क चला रहा था।
शनिवार शाम 4 बजे से रविवार सुबह 8 बजे तक स्पेशल टीम के साथ एसपी शरथ आरएस भी छापेमारी में मौजूद रहे। प्रारंभिक पूछताछ के बाद साइबर फ्रॉड के बड़े रैकेट के खुलासे की संभावना जताई जा रही है। इसके तार देश के कई अन्य राज्यों से जुड़े हो सकते हैं। ऐसे में पुलिस के साथ छापेमारी करने आई स्पेशल टीम हर्षित के घर से मिले सामानों को जब्त कर जांच शुरू कर दी है। हालांकि मामले में कोसी रेंज के डीआईजी मनोज कुमार और एसपी शरथ आरएस कुछ भी बताने से इनकार कर रहे हैं।
डीआईजी ने कहा कि कुछ इनपुट मिला था जिसके आधार पर छापेमारी कर हर्षित के घर छापेमारी कर उसे हिरासत में लिया गया और मुख्यालय से आई टीम को सुपुर्द कर दिया गया है। जबकि एसपी शरथ आरएस ने बताया कि बड़ा रैकेट मालूम पड़ता है। उन्होंने बताया कि हर्षित को स्पेशल टीम के हवाले कर दिया गया है।
पिता बोले- बेटे को फंसाया जा रहा
करीब 16 घंटे तक घर पर चली रेड के बाद इलाके में चर्चाओं का बाजार काफी गर्म रहा। ग्रामीण और चौक-चौराहे पर दबी जुबान से कह रहे थे कि हर्षित कोई बड़ा जालसाज तो नहीं। हालांकि हर्षित के पिता विकास मिश्र ने बताया कि उनका बेटा रिएल एस्टेट के कारोबार से जुड़ा है और राजनीति में भी सक्रिय है। उसके पुत्र को इस मामले में फंसाया जा रहा है। कुछ दिन पहले ही वह युवा जदयू का प्रदेश सचिव बना है जिससे कुछ लोग साजिश में फंसाना चाहते हैं।
कमरे में अक्सर बंद रहता था हर्षित
ग्रामीणों का कहना था कि हर्षित कोरोना काल में पटना से पढ़ाई छोड़कर घर लौट आया। इसके बाद से वह ज्यादातर अपने कमरे में रहा करता था। गांव में भी किसी से उसको खास मतलब नहीं रहता था। वह अपने कमरे में अक्सर बंद रहा करता था। बंद कमरे में वह क्या करता था, इसकी जानकारी न तो परिजन को है और न ही ग्रामीणों को। जब भी वह घर से निकलता तो अपने साथ बॉडीगार्ड लेकर चलता था।
उसके रसूख से लोग सिर्फ इतना जानते थे कि रियल स्टेट में वह अच्छा कमाता होगा। लेकिन उसके पीछे का स्याह सच क्या है, स्पेशल टीम की जांच के बाद ही खुलासा हो पाएगा। फिलहाल उसका लैपटॉप, सिम, मोबाइल और कुछ दस्तावेज की टीम जांच कर रही है। पुलिस सूत्रों की मानें तो साइबर ठगी के बड़े नेटवर्क का तार हर्षित से जुड़ने की प्रबल संभावना है।





