नक्सल क्षेत्र में होती रही वोटों की बारिश
कोरोना महामारी के बीच पहली बार हो रही वोटिंग का असर इस बार देखने को मिला। शहर के अधिकांश बूथ सुबह में खाली दिखे। हालांकि दिन चढ़ने के साथ ही वोटर वोट के लिए तो पहुंचे लेकिन बावजदू इसके वोटिंग कम ही...
कोरोना महामारी के बीच पहली बार हो रही वोटिंग का असर इस बार देखने को मिला। शहर के अधिकांश बूथ सुबह में खाली दिखे। हालांकि दिन चढ़ने के साथ ही वोटर वोट के लिए तो पहुंचे लेकिन बावजदू इसके वोटिंग कम ही रही। मतदान को लेकर सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए थे। जिले के सभी बूथों पर अर्द्धसैनिक बलों की व्यवस्था की गई थी। वोटिंग के दौरान कोविड 19 को लेकर दिए गए गाइड लाइन का कहीं भी पालन होता नहीं दिखा। अधिकांश बूथों पर वोटर बिना मास्क के ही दिखे वहीं सोशल डिस्टेंसिंग पूरी तरह फेल दिखा। हालांकि प्रशासन की ओर से हाथ में पहनने के लिए ग्लब्स तो दिया जा रहा था लेकिन उसे पहनने में कोई भी मतदाता रूची नहीं ले रहे थे। बरहट के चोरमारा बूथ पर दोपहर 11 बजे तक लगभग 900 में से 11 वोट ही डाला गया था। इस बार सबसे अधिक परेशानी ईवीएम मशीनों के खराब होने को रही। इवीएम खराब रहने के कारण कई बूथों को या तो कैंसिल कर दिया गया या तो मशीन बदलकर वोटिंग शुरू हो पाई। कई जगह तो तीन से चार बार तक ईवीएम बदलने के बाद भी वोटिंग शुरू नहीं हो पाई। इस बार वोट को लेकर महिलाओं में भी उत्साह था। हालांकि उन्होंने कहा कि विकास को आधार मानकर उन्होंने वोट किया है।