सोहराय पर्व: मृदंग की थाप पर थिरके लोग
आदिवासी समाज का सबसे बड़ा पर्व सोहराय प्रखंड के बरहट तमकुलिया, पचेसरी सहित जंगली क्षेत्रों में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। रविवार को दिनभर मृदंग की थाप पर नृत्य का दौर चलता...
आदिवासी समाज का सबसे बड़ा पर्व सोहराय प्रखंड के बरहट तमकुलिया, पचेसरी सहित जंगली क्षेत्रों में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। रविवार को दिनभर मृदंग की थाप पर नृत्य का दौर चलता रहा।
आदिवासी समाज के अनुसार यह पर्व पूस महीने मे नये फसल के साथ मनाने की परंपरा सदियों सेे चली आ रही है। ग्रामीण बताते हैं कि यह पर्व किसी खास तारीख या तिथि को नहीं मनाया जाता है।इस पर्व को मनाने के लिए मंझी हाडाम द्वारा बैठक बुलायी जाती है। गांव में सभी व्यक्ति के कुशल-मंगल होने पर ही पर्व मनाने का निर्णय लिया जाता है। पचेसरी गांव के आदिवासी समाज के समाजसेवी मुनेश्वर मुरमुर बताते हैं कि यह पर्व मुख्य रूप से तीन दिन का होता है जिसमे पहला दिन आदिवासी समाज के लोग अपने अपने घरों की साफ-सफाई कर अपने कुुल देवता की पूजा करते है। दूसरे दिन खाने पीने का होता है। जिसमें सभी लोग एक दूसरे के घर जा खाते पीते हैं।
पर्व के तीसरे और अंतिम दिन सभी मेहमान जमा होते है,। इस पर्व में खासकर शादी-शुदा बेटियों और
बहनों को बुलाया जाता है। इसलिए यह खासकर इन्हीं बेटी और बहनों का पर्व है। इस पर्व में इनका खूब सेवा-सत्कार किया जाता है। पर्व के चौथे दिन नदी व तालाब में मछली पकड़ने की परंपरा है। पांचवे दिन जंगल जाकर शिकार करने और शिकार के पश्चात सभी ग्रामीण मिल बैठकर खाते हैं और पर्व का मजा लेते हैं । पर्व के मौके पर पचेसरी ग्राम प्रधान नरेश मुर्मू, रमेश मुर्मू ,बाबू राम मुर्मू ,चंद्रशेखर मुर्मू, गोरे लाल मरांडी , मानसी मरांडी आदि मौजूद थे।