जमुई| हिन्दुस्तान संवाददाता
जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री किसानों के लिए चिंतित हैं। किसानों की समस्या को दूर करने के लिए अधिकारी से लेकर जिले के नेता व मंत्री भी चिंतित दिखाई देते हैं । लेकिन जिले में धान अधिप्राप्ति में हो रही अनियमितता पर सभी चुप्पी साधे रहते हैं। पिछले साल की अपेक्षा धान की राशि में भी कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। जिले के कई पैक्सो में अभी तक नहीं हुई है धान की खरीद ।
अध्यक्षों के पास पैसे का अभाव है । बैंक से पैसे सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है।
किसान धान देने के बाद पैसे की डिमांड करते हैं । बैंक के इस रवैया से पैक्स अध्यक्ष धान लेने में किसानों को अपनी परेशानी भी बताते हैं । कई पैक्स अध्यक्षों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि बैंक का रवैया ठीक नहीं है जिसके कारण धान अधिप्राप्ति कच्छप गति से चल रहा है। बैंक के अधिकारी पैसे देने में आनाकानी करते है। इस कारण पैक्स अध्यक्ष और किसान मूकदर्शक बने हैं । वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए खरीफ विपणन और धान अधिप्राप्ति को लेकर जिला में कई बार जिलाधिकारी के समक्ष समीक्षा बैठक की गई।
बैठक में काफी लंबी चौड़ी बात भी हुई और गरीब लोगों का धान खरीदने पर पूरा फोकस किया गया लेकिन जिले में सरजमीं कुछ और बयां कर रहा है । जिले में 153 पंचायत व 10 व्यापार मंडल है। 50 पंचायत में चुनाव होना है लेकिन जिस पंचायत में धान की खरीदारी हो रही है उसे अगर सही ढंग से जांच किया जाए तो जिले में हो रहे गोरखधंधा से पर्दा उठ सकता है । लेकिन वरीय अधिकारी भी सभी कुछ जानते हुए इस पर ध्यान नहीं दे पाते हैं । धान अधिप्राप्ति का न्यूनतम लक्ष्य इस साल 51 हजार मीट्रिक टन रखा गया है। साथ ही साधारण धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रूपए और ए ग्रेड धान का एमएसपी 1888 रूपए प्रति क्विंटल है।