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लगातार दूसरे साल भी लछुआड़ महोत्सव पर लगा ग्रहण

भगवान महावीर क्षेत्रीय कुंड लछुआड़ में मनाये जाने वाले वार्षिक लछुआड़ महोत्सव पर लगातार दूसरे वर्ष भी ग्रहण लग गया...

लगातार दूसरे साल भी लछुआड़ महोत्सव पर लगा ग्रहण
हिन्दुस्तान टीम,जमुईThu, 02 Apr 2020 10:47 PM
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भगवान महावीर क्षेत्रीय कुंड लछुआड़ में मनाये जाने वाले वार्षिक लछुआड़ महोत्सव पर लगातार दूसरे वर्ष भी ग्रहण लग गया है।

कोरोना महामारी के चलते पूरे भारत में लगे लॉक डाउन की वजह से इस साल 6 अप्रैल को मनाये जाने वाला वार्षिक महोत्सव पर नही जुटेगी सैलानियों की भीड़। लॉक डाउन की वजह से मंदिर, मस्जिद व धार्मिक स्थलों पर लोगो की भीड़ पर पूर्ण पाबंदी लगायी गयी है। पाबंदी की वजह से लोगों को अपने घरों में 15 अप्रैल तक रहने की पीएम द्वारा आह्वान की गई है। जिस कारण 6 अप्रैल से होने वाले महोत्सव में भगवान महावीर की जन्मभूमि लछुआड़, कुंडघाट एवं जन्मस्थान में इस बार लोग वंचित रहेगें।

बताते चले की पिछले साल अप्रैल में हुए लोक सभा चुनाव की वजह से महोत्सव नहीं मनाया गया था। वहीं इस बार कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए इस पर लगातार दूसरे वर्ष ग्रहण लग गया है। जहां जिले के कला प्रेमियों सहित आम लोगों को बेसब्री से लछुआड़ महोत्सव का इंतजार रहता है वे इस साल भी महोत्सव के टल जाने से मायूसी है। हर वर्ष महोत्व को जिला प्रशासन की देखरेख में मनाया जाता है। बडे़ संख्या में हर वर्ष इस मौके पर विदेशी सैलानी जुटते है। जिसकारण भीड़ को नियंत्रण करना प्रशासन के लिए चुनौतीपुर्ण रहता है। जिस कारण पिछले वर्ष चुनाव को लेकर कार्यक्रम को रद्द किया गया था।

पर्यटन के रूप में बढ़ावा देने के लिए किया जाता है आयोजन

विश्व के मानचित्र पर सूबे के सुप्रसिद्ध पर्यटन स्थल भगवान महावीर जन्मस्थान को पर्यटन के रूप में स्थापित करने के लिए हर वर्ष पर्यटन विभाग की ओर से लछुआड़ महोत्सव का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2016 में इसकी शुरुआत की गई थी। इसके बाद लगातार वर्ष 17 एवं 18 तक इसका आयोजन किया गया। लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव को लेकर लछुआड़ महोत्सव को डीएम द्वारा चुनाव के बाद आयोजन कराने की बात कही गई थी। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद भी साल 2019 में महोत्सव का आयोजन नहीं हो पाया था। जमुई जिले से 27 किलोमीटर दूर अवस्थित जन्मस्थान जो पूरे विश्व में भगवान महावीर के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र शुरू से ही उपेक्षित रहा है, जबकि यहां हर वर्ष काफी संख्या में देश विदेश से जैन धर्म के साथ अन्य श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

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