
स्वच्छता ही सेवा" संदेश को मुंह चिढ़ाता प्रतीत हो रहा है स्कूल परिसर में जमा कूड़ा का ढे़र
संक्षेप: स्वच्छता ही सेवा" संदेश को मुंह चिढ़ाता प्रतीत हो रहा है स्कूल परिसर में जमा कूड़ा का ढे़र स्वच्छता ही सेवा" संदेश को मुंह चिढ़ाता प्रतीत हो रहा है स्कूल
सोनो। निज संवाददाता "स्वच्छता ही सेवा" का संदेश कागज और पोस्टरों तक सिमट कर रह गया है। प्रधानमंत्री के जन्मदिन 17 सितंबर से गांधी जयंती 2 अक्टूबर तक विशेष स्वच्छता ही सेवा अभियान की केवल खानापूर्ति की जा रही, अधिकारी व नेता द्वारा झाड़ू के साथ फ़ोटो सोशल मीडिया पर डालकर इस अभियान के सफलता का ढ़िढोरा पीट रहे हैं। लेकिन वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। अगर इस अभियान की सार्थकता सिद्ध हो रही होती तो क्या प्रखंड मुख्यालय के स्कूल परिसर में यूं ही कूड़े के ढे़र नहीं पड़ा रहता। प्रखंड में चल रहे स्वच्छता ही सेवा के तहत चलाये जा रहे विशेष अभियान के तहत पदाधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक हाथ में झाड़ू लेकर फोटो खिंचवा रहे हैं।

मंचों से स्वच्छता पर लंबा-चौड़ा भाषण भी दिया जा रहा है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि बाजार हो या स्कूल परिसर, हर जगह कूड़े के ढ़ेर और सड़ांध अभियान की सफलता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अभियान के नाम पर जागरूकता रैली और फोटो सेशन जरूर हो रहे हैं, लेकिन नाले-नालियों की सफाई और कचरा प्रबंधन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। नतीजा यह है कि "स्वच्छता ही सेवा" का संदेश कागजों और पोस्टरों तक सिमट कर रह गया है। सबसे गंभीर स्थिति विद्यालय परिसर के आसपास देखने को मिल रही है। आदर्श मध्य विद्यालय और प्लस टू परियोजना बालिका उच्च विद्यालय के सामने लंबे समय से कचरे का ढ़ेर जमा है। यहां पढ़ने आने-वाले बच्चे रोजाना उसी कचरे के बीच से होकर गुजरने को मजबूर हैं। बदबू और गंदगी से छात्र-छात्राओं के साथ शिक्षक भी परेशान हैं। लोग खुलेआम स्कूल और गलियों के पास कचरा फेंक रहे हैं। बार-बार शिकायत के बावजूद न तो जिम्मेदार विभाग की ओर से कोई ठोस कदम उठाया जा रहा है और न ही लोगों की आदतों में सुधार हो रहा है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि नियमित कचरा उठाव और निस्तारण की व्यवस्था की जाए, ताकि बच्चे और आम जनता को गंदगी और बीमारियों से राहत मिल सके। आंखों को देती है दृष्टि, गोद को देती है संतान-मां नेतुला का अदभुत आशीष फोटो-17- मां नेतुला मंदिर के दरवार की तस्वीर फोटो-18- मां नेतुला मंदिर में आरती के दौरान मौजूद महिलाएं फोटो-19- मां नेतुला मंदिर की तस्वीर अलीगंज/सिंकंदरा। निज प्रतिनिधि जमुई जिले के सिकंदरा प्रखंड स्थित कुमार गांव का बड़ा की धार्मिक,आध्यात्मिक तथा पौराणिक महत्व है। इस गांव में जगत जननी जगदंबा मां नेतुला के पावन परिसर में वास्तुकला से सुसज्जित भव्य, दिव्य और कन्नड़ शैली निर्मित भव्य मंदिर है। ऐसे तो यहां हर रोज, भक्तों का तांता लगा रहता है। ऐसी मान्यता है कि माता के मंदिर परिसर में पग रखते ही श्रद्धालुओं के सारे कष्टों निवारण क्षण भर में हो जाता है, जो आध्यत्मिक शुद्धि यहां मिलती है ,उसे कहकर व्यक्त नही किया जा सकता। बल्कि महसूस किया जाता है। हर वर्ष आश्विन मास शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा को कलश स्थापना के साथ ही देश, प्रदेश से हजारों दुखियारी अपने दुख निवारण हेतु माता के दरबार में सुबह-शाम कष्टी देने आते है। जिन्हें नेत्र में दोष रहता है उन्हें मा नेतुला दृष्टि देती है ,जिसकी कोख सुनी रहती उन्हें संतान देती है। किसी को शांति, धन ,वैभव व लक्ष्मी देती है। 52 शक्तिपीठों में से एक यहां माता के पीठ की पूजा होती है। मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। यहां पूर्व में घनघोर जंगल हुआ करता था। सदियों से माता रानी की पूजा होती आ रही है। ऐसे तो मंदिर कब से है इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नही है। जैन धर्म की पुस्तक कल्पसूत्र ,आचरंग सूत्र, द्वितीय सूत्र श्लोक संख्या-770 के अनुसार जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने ज्ञान की प्राप्ति के लिये जब घर त्याग किया था तो कुंडलपुर (जन्मस्थान,लछुआड़) से निकलकर उन्होंने पहला रात्रि विश्राम मां नेतुला मंदिर परिसर स्थित वटवृक्ष के नीचे किया था। औऱ अपना वस्त्र त्यागकर यहीं से ज्ञान प्राप्ति के लिए निकले थे। उस समय भी मंदिर मौजूद था। इस मंदिर के अगल-बगल श्मशान भूमि है। जहां अष्टमी के दिन निशावली दी जाती है और इसी के प्रसाद से माता को भोग लगाया जाता है। कुमार गांव का उदभव मां नेतुला से जुड़ा एक लोक कथा और धार्मिक विश्वास है। ऐसे कोई लिखित ,ऐतिहासिक तथ्य नही है, लोक कथा के अनुसार माना जाता है कि माता नेतुला कुम्हार समुदाय की कुल देवी है। लोककथा के अनुसार इस समुदाय के पूर्वज कई तरह की समस्या से जूझ रहे थे। तब एक नए और सुरक्षित स्थान की तलाश में थे। तब मां नेतुला ने उनका मार्गदर्शन ,उनके मार्गदर्शन में चलते हुए ऐसी जगह पर पहंुचे जहां मिट्टी और पानी की उपलब्धता थी। जो मिट्टी के बर्तन बनाने के उनके पारंपरिक काम के लिए जरूरी थी। यहां आकर उन्होंने मां नेतुला के आशीर्वाद से अपना काम शुरू किया और खूब तरक्की की। इस तरह मां नेतुला के आशीर्वाद और मार्गदर्शन से स्थापित हुई यह बस्ती कुमार गांव कहा जाने लगा। मां नेतुला को जागृत देवी के रूप में पूजा जाता है। यदि कोई त्रुटि हुई तो माता गुस्से में आ जाती पर ,उसका निवारण तुरंत माता के द्वारा किया जाता है। म्ंादिर परिसर में भव्य नेतुलेश्वर महादेव व मां पार्वती का भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष पुर्व मुखिया हरदेव सिंह, सचिव कृष्णनंदन सिंह एवं योगेंद्र सिंह आदि ने बताया कि माता की असीम कृपा से मंदिर का उत्तरोत्तर विकास हो रहा है। यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं को किसी तरह की कठिनाई नही हो इसके लिए मंदिर कमेटी की तरफ से पूजा, पाठ रहने ,खाने, स्नानागार,शौचालय आदि की व्यवस्था पूर्व से ही कर ली गई है। नवरात्र के दौरान मंदिर परिसर में महाआरती के बाद हर प्रवचन सह भक्तिसंगीत का कार्यक्रम होता है। वाहन चालकों को मिलेगा यूनिक आईडी कार्ड संग पेंशन व बीमा बरहट। निज संवाददाता दिन-रात पसीना बहाकर लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाले मेहनतकश वाहन चालकों के जीवन में अब नई रोशनी आने वाली है। ट्रक, बस, ऑटो और टैक्सी चालक जो अक्सर अपने परिवार से दूर, सड़कों पर संघर्ष करते हैं उनके लिए सरकार ने बड़ी पहल की है। जल्द ही इन्हें यूनिक आईडी कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। इस कार्ड के सहारे चालकों को बीमा, पेंशन और स्वास्थ्य योजनाओं से जोड़ा जाएगा। अब वह दिन दूर नहीं जब सड़कों की धूल में डूबे ये मेहनतकश हाथ अपने परिवार के लिए सुरक्षित भविष्य का सपना देख पाएंगे। जिला परिवहन पदाधिकारी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री चालक कल्याण योजना के तहत चिन्हित चालकों की सूची जल्द से जल्द उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। बताया जाता है कि इस योजना का शुभारंभ खुद मुख्यमंत्री के हाथों से होने जा रहा है। इस योजना के तहत 60 से 79 वर्ष आयु वाले चालकों को हर महीने 200 से 400 रुपए पेंशन मिलेगी। वहीं 80 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले चालकों को 500 रुपए मासिक पेंशन का लाभ मिलेगा। प्रखंड विकास पदाधिकारी एसके पांडेय ने बताया कि निर्देशानुसार कार्रवाई की जा रही है। सूची तैयार होने के बाद यूनिक आईडी कार्ड का वितरण किया जाएगा। यह योजना सिर्फ चालकों के लिए ही नहीं, बल्कि उनके परिवारों के लिए भी जीवन में संबल साबित होगी। कोल्हुआ के खड़हुआ में जैसे-तैसे कराया जा रहा नाला निर्माण मामला कोल्हुआ पंचायत के वार्ड नंबर अंतर्गत पड़ने वाले खड़हुआ गांव का फोटो -22-निर्माण कार्य से जुड़ी तस्वीर गिद्धौर। निज संवाददाता सरकार गांव कस्बों को पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से समृद्ध बनाने की हर संभव कवायद में लगी है लेकिन सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद प्रखंड के कोल्हुआ पंचायत अंतर्गत पड़नेवाले वार्ड नंबर एक के खड़हुआ गांव में स्थानीय जन प्रतिनिधियों द्वारा प्राक्कलन को ठेंगा दिखा रहे हैं। जैसे-तैसे नाला निर्माण करा निर्माण कार्य के नाम पर सरकारी राशि का बंदरबांट किया जा रहा है। खड़हुआ गांव के ग्रामीणों ने नाला निर्माण से जुड़े कार्य गुणवत्ता को ले सवाल खड़ा करते हुए कहा कि निर्माण कार्य से जुड़े मानक को ताक पर रखकर नाला निर्माण कार्य कराया जा रहा है। जन लाभकारी योजना से जुड़ा खड़हुआ गांव में कराया जा रहा यह निर्माण कार्य योजना के नाम पर सरकारी राशि के लूट खसोट की पोल खोल कर रख दे रहा है। क्षेत्र के ग्रामीण बताते हैं कि यहां चल रहे नाला निर्माण कार्य में बिना फर्श बनाए ही टुकड़ा ईंट से दोनों तरफ पांच इंच का दीवार खड़ा कर दिया जा रहा है। वहीं उसके उपर ढक्कन लगा योजना के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करने का कार्य जारी है। ग्रामीणों ने बताया कि नीरज मिश्रा के घर से लेकर प्राथमिक विद्यालय खड़हुआ तक लगभग 14 लाख रूपये की राशि खर्च कर उक्त नाला का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। कार्य किस योजना और किस विभाग से करवाया जा रहा है। इसका भी अब तक कुछ अता-पता नहीं है न ही योजना से जुड़ा कोई बोर्ड ही लगाया गया है। जबकि चल रहे गुणवत्ता विहीन नाला निर्माण कार्य की शिकायत प्रखंड मुख्यालय के अधिकारियों से ग्रामीणों द्वारा की गयी है। मगर अब तक निर्माण कार्य में कोई सुधार नहीं हुआ है। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन से जल्द इस दिशा में कार्रवाई कर निर्माण कार्य को प्राक्कलन के अनुसार करवाने की मांग की है। कहते हैं पंचायती राज पदाधिकारी इस संदर्भ में पंचायती राज पदाधिकारी अपराजिता सुमन से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मामले की जानकारी ले इस दिशा में समुचित कारवाई की जाएगी।

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