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बाल सांसद चला रहे हैं संध्या पाठशाला

नवाडीह घासीतरी विद्यालय में गठित बाल सांसद अपने मकसद में कामयाब हो रहे । विद्यालय के अलावे रात में बड़े बच्चे छोटे बच्चों को दो घंटे का लगाते क्लास। मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने बच्चों में दायित्व...

बाल सांसद चला रहे हैं संध्या पाठशाला
हिन्दुस्तान टीम,जमुईWed, 30 Jan 2019 12:50 AM
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नवाडीह घासीतरी विद्यालय में गठित बाल सांसद अपने मकसद में कामयाब हो रहे । विद्यालय के अलावे रात में बड़े बच्चे छोटे बच्चों को दो घंटे का लगाते क्लास। मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने बच्चों में दायित्व का बोध कराने तथा विद्यालय के प्रति एवं देश के प्रजातांत्रिक प्रणाली के प्रति चेतना जगाने के लिये बाल संसद का गठन कराया था। वाल संसद में विद्यालय के बच्चों के बीच से प्रधान मंत्री, शिक्षा मंत्री सांसद आदि का चुनाव कराया गया था। प्राय: सभी विद्यालयों में बाल संसद का गठन कराया गया था। लेकिन टेलवा पंचायत के घासीतरी उतक्रमित मध्य विद्यालय के प्रधान के बच्चों के प्रति स्नेह तथा लगन ने बाल संसद के दायित्व को और वृहत बना दिया। नवाडीह घासीतरी विद्यालय के प्रधान के अनुसार बाल संसद तो विद्यालय में बच्चेंा तथा विद्यालय के प्रति अपना जबावदेही तो र्निवाह कर ही रहे थे लेकिन वैसे बच्चे जो पड़ने में कमजोर हैं वर्ग एक से पंचम तक को जिसे अभिभावक पढ़ाने में असमर्थ हैं तथा गृह कार्य नहीं बनवा सकते हैं। इसके लिये बाल संसद में बड़े वर्ग के यानि सप्तम अष्टम के बच्चों को निचले वर्ग के बच्चों को गांव में ही शाम के छ: बजे से आठ बजे तक पढ़ाने का दायित्व दिया गया। बाल संसद के बच्चों ने तीन जनवरी से गांव में ही बने सामुदायिक भवन में बच्चों को शाम में दो घंटे पढ़ाने का काम शुरू किया। रात्रि विद्यालय संचालन कर्ता लक्खी कुमार, सुभाष कुमार,सन्नू कुमार,अमरजीत कुमार,नीतीश कुमार तथा छोटु कुमार कहते हंै कि बच्चों को पड़ाने से हमलोंगों का भी रीडिंग सामर्थ्य के अलावे पढ़ने में मन ज्यादा लगता है। वहीं विद्यालय के प्रधान प्रेम कुमार कहते हैं कि प्रकाश के व्यवस्था के लिये अपने पैसे से तार तथा बल्व लाकर बगल घर वाले से अनुरोध कर बिजली का व्यवस्था के अलावे विद्यालय का रूप देने के लिये ब्लैकबोर्ड, बैनर, उपस्थिति पंजी के अलावे एक मोबाइल दिया हूं जिससे घर से भी बच्चों को गाईड कर सकूं। जो भी हो ये पहल एक सराहनीय पहल लगता है। इधर छात्रों ने कहा कि उन्हें इस तरह का लभ मिल रहा है जैसे स्कूल का अंतर ही नहीं हो। छात्रों ने कहा पहले से बेहतर ढंग से उन्हें शिक्षा दी जा रही है। इससे वे और भी उत्साहित हो कर पढ़ने आते हैं।

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