आंदोलन कारियों पर लाठी चार्ज लोकतंत्र पर है प्रहार
18 मार्च 1974 को बिहार के छात्रों ने अपनी समस्याओं के लिए विधानसभा के सामने प्रदर्शन किया। पुलिस ने उन पर लाठियां और गोलियां चलाईं, जिससे कई छात्र मारे गए। आंदोलन तेजी से बिहार में फैल गया, जिसके...

खैरा, निज संवाददाता 18 मार्च 1974 सूबे बिहार के छात्रों ने अपनी बुनियादी समस्याओं को लेकर विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन कर रहे थे मगर सत्ता सीन सरकार के प्रशासन ने उनकी एक भी नहीं सुनी और छात्रों पर अचानक लाठियां और गोलियां बरसाना शुरू कर दिया । अधिनायक वादी और लोकतंत्र विरोधी पुलिस की लाठी डंडे और गोलियों से कई छात्र मारे गए । जबकि कई छात्र घायल हो गए इस प्रदर्शन की आग जमुई तक पहुंची और 19 मार्च को जमुई में भी पुलिस प्रशासन ने छात्रों पर गोलियां चलाई जिसमें दो छात्र मारे गए थे आंदोलन का स्वरूप धीरे-धीरे पूरे बिहार मे फैल गया । बिहार छात्र उग्र होते गए और जगह-जगह प्रदर्शन होने लगा । छात्रों का यह आंदोलन पूरे देश में जोर पकड़ लिया और इसी क्रम में 1975 के 25 जून की रात मे सत्ता सीन भारत सरकार ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दिया जिसमें देश के कई छात्र नेता एवं राजनेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया । आंदोलन कारियो पर मीसा और डीआईआर लगाया गया । आपातकाल की घोषणा होते ही समाचार पत्र दूरदर्शन आकाशवाणी पर पूरी तरह सेंसर लगाया गया जब कि न्यायालय पर भी न्याय व्यवस्था में हस्तक्षेप किया गया लगभग तीन वर्षों के छात्र आंदोलन के बाद देश में सत्ता परिवर्तन हुआ इसलिए हम सभी जेपी सेनानी एवं प्रबुद्ध गण एवं समाज सेवी 18 मार्च 1974 को लोकतंत्र पर प्रहार हत्या के समान है मौके पर जेपी सेनानी के जिला अध्यक्ष शिवनंदन सिंह जेपी सेनानी राजेश सिंह जेपी सेनानी राजेंद्र सिंह रंजन जेपी सेनानी श्याम सुंदर सिंह जेपी सेनानी सियाराम मंडल जेपी सेनानी सत्येंद्र सिंह भूषण समाजसेवी भवानी सिंह जदयू प्रखंड अध्यक्ष रामानंद सिंह साकेंदर सिंह सहित दर्जनों भर लोगों ने आंदोलन कारियो पर पुलिस की बर्बरता का जमकर विरोध किया।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।