
12 सूत्री मांगों को लेकर दिशोम आदिवासी जनजागृति मोर्चा ने किया धरना प्रदर्शन
संक्षेप: 12 सूत्री मांगों को लेकर दिशोम आदिवासी जनजागृति मोर्चा ने किया धरना प्रदर्शन 12 सूत्री मांगों को लेकर दिशोम आदिवासी जनजागृति मोर्चा ने किया धरना प्रदर्शन
चकाई,निज प्रतिनिधि दिशोम आदिवासी जन जागृति मोर्चा की ओर से मंगलवार को अंचल कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन किया गया।धरना प्रदर्शन का नेतृत्व मोर्चा के अध्यक्ष शिवलाल हेंब्रम के रहे थे। प्रखंड के विभिन्न गांवों के सैकड़ों आदिवासी समाज के लोग दिशोम आदिवासी जन जागृति मोर्चा के बैनर तले अंचल कार्यालय पहुंचे और धरना प्रदर्शन किया।धरना प्रदर्शन में शामिल लोग राजस्व भूमि सुधार महाअभियान के तहत आदिवासियों को भूमिहीन नहीं बनाने की मांग की है। मोर्चा के अध्यक्ष शिवलाल हेंब्रम ने कहा कि सरकार द्वारा वर्तमान समय में राजस्व भूमि सुधार महाअभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत किसानों की जमीन का जमाबंदी फार्म, खतियान, केवाला आदि में नाम और रकवा सुधार किया जाना है।

आदिवासी समाज के लोग अधिकांशत: बंदोबस्त, पट्टा, हुकूमनामा और परवाना के माध्यम से प्राप्त भूमि पर जीवन-यापन कर रहे हैं।लेकिन उक्त भूमि का सुधार फार्म जमा नहीं लिया जा रहा है। जिससे जमीन का आनलाइन रिकार्ड नहीं बन पा रहा है। यदि ऐसा ही रहा तो आदिवासी समुदाय भूमिहीन की श्रेणी में आ जाएंगे।कार्यक्त्रम में शिरकत कर रहे झामुमो नेता नेता पृथ्वीराज हेंब्रम ने कहा कि बंदोबस्ती, हुकूमनामा, पट्टा और परवाना से प्राप्त भूमि का सुधार फार्म स्वीकार किया जाए। यदि सरकार ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया तो वे लोग सड़क सड़क पर आंदोलन करने को विवश होंगे। धरना प्रदर्शन के बाद मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल द्वारा अंचलाधिकारी राजकिशोर साह को अपनी मांगो का मांग पत्र भी सौंपा। मौके पर सुनील हांसदा,छोटेलाल हेंब्रम, नरेश मुर्मू,मनोज मुर्मू ,सोहन मुर्मू, जोसेफ सोरेन, नूनवा मरांडी, राजेंद्र सोरेन, मनेल हांसदा, समेल हांसदा सहित सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज के महिला व पुरुष मौजूद थे। 12सूत्री मांगों में ये हैं शामिल: राजस्व एवं भुमि सुधार विभाग राजस्व महा अभियान में राजा-महराजा प्रधान के द्वारा जारी हुकुमनामा वो राज्य सरकार के द्वारा पट्टा, परवाना, भू-दान बन्दोबस्ती जमीन की कागज को ऑनलाईन में स्वीकार किया जाय। सरकार के द्वारा जिस प्रकार रजिस्ट्रर 2 की कॉपी रैयतो को मुहैया की गई है ।उसी के आधार पर रैयतो को जमीनदारों के द्वारा समर्पित अभिलेख 1955-56 ई० वो समय समय पर सरकार द्वारा दिया गया परवाना पट्टा की कॉपी एवं खतीयान की कॉपी उपलब्ध करा दिया जाय ।अनूसुचित जनजाति और वन निवास क्षेत्रों के निवासियों को सन् 2006 ई० वन अधिकार अधिनियिम के तहत 01.01.2005 ई0 के पुर्व के सभी खंडित जमीनों पर बरकार रखते हुए पट्टा दिया जाय। सन 1955-56 ई0 के दौरान राजा, महराजा, प्रधान के द्वारा दिया गया हुकुमनामा वो बिहार सरकार के द्वारा जारी की गई परवाना पट्टा की जमीन को रैयती जमीन घोषित किया जाय। रैयतो की खतीयानी जमीन में जमाबन्दी दर्ज नहीं हुई है, उन सभी रैयतो की जामबन्दी लगान लगा कर रसीद निर्गत किया जाय। भुमिहीन किसान, आदिवासी, दलित, वंचित वर्गों को सर्वे कर जमीन उपलब्ध करायी जाय।जल जमीन जगंल पर आदिवासीयों का पुर्ण अधिकार हो। वन अधिकार अधिनियम के तहत वन भुमि को सबन्धित गांव के जनजातियों को बन्दोबस्त, पट्टा दिया जाय। माडा योजना पुन: लागू किया जाय।बिहार में अनुसूचित जनजातियों को 7 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। ताकि आदिवासियों का समाजिक विकास हो सके। बिहार में आदिवासियों का जमीन बिना अनुमति किये रजिस्ट्री में रोक लगाई जाए।आदिवासी के लिए आदिवासी धर्म कोड लागू किया जाय। और सन् 2026 ई की राष्ट्रीय जनगणना में आदिवासी धर्म कोड का स्थान दिया जाय। जिससे आदिवासीयों की समाजिक पहचान सुरक्षित रहे। आदिवासी बहुल क्षेत्रों को जैसे की पंचायत, प्रखण्ड, जिला स्तर पर चिन्हित कर आदिवासी क्षेत्र घोषित किया जाय । साथ ही साथ बिहार में पेशा ऐक्ट कानून लागू किया जाय। मांग पत्र की प्रतिलिपि महामहिम राज्यपाल बिहार, मुख्यमंत्री बिहार सरकार, राजस्व एवं भुमि सुधार मंत्री बिहार सरकार, एस सी - एसटी कल्याण मंत्री बिहार सरकार, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग दिल्ली, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग पटना, आयुक्त मुंगेर,जिलाधिकारी जमुई को भी भेजी जा रही है।

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