कालाजार के उन्मूलन में स्वास्थ्य विभाग का करें सहयोग
अरवल जिले में कालाजार को समाप्त करने के लिए जनप्रतिनिधियों और प्रबुद्धजनों की मदद से 25 इन्फॉर्मरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। पीरामल फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण में कालाजार के...

अरवल निज संवाददाता। कालाजार को जड़ मूल से समाप्त करने के लिए इलाके के जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्धजनों, पढ़े लिखे युवा नागरिकों, ग्रामीण चिकित्सकों की मदद ली जायेगी। स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें की इन्फार्मर के रूप में सहयोगी बनाया है। इसके लिए जिला के कुर्था और करपी प्रखंडों को चयनित किया गया है। प्रत्येक प्रखंड से 25 की इन्फॉर्मरों का प्रशिक्षण किया जाना है। चयनित 25 की इन्फॉर्मर को प्रशिक्षण पीरामल फांउडेशन देगी। इसे लेकर करपी प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शशिकांत कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को की इन्फॉर्मरों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस मौके पर पीरामल फाउंडेशन से विनोद कुमार सिंह, चंदन कुमार मिश्रा ग्रामीण चिकित्सक अरविन्द कुमार सहित अन्य की इन्फॉर्मर मौजूद रहे। की इन्फॉर्मरों का किया गया क्षमतावर्धन: विनोद कुमार सिंह ने की इन्फॉर्मरों को कालाजार रोगियों की पहचान करने, पोस्ट कालाजार डर्मल लेशमेनियासिस, कालाजार से बचाव, बालूमक्खी की पहचान व इंडोर रेसिडूयल स्प्रे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बताया कि बालू मक्खी, जिसे सैंड फ्लाई भी कहा जाता है, एक छोटा कीट है जो लगभग तीन मिमी लंबा होता है। इसका रंग सुनहरा, भूरा या धूसर होता है। इसकी पहचान इसके लंबे, छेदने वाले मुंह, बालों वाले पंख और लंबे पैर से की जा सकती है। बालू मक्खियाँ आमतौर पर छायादार, कम रौशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी व जैविक पदार्थों वाली जगहों पर पायी जाती हैं। यह मक्खी जमीन से 6 फुट की ऊंचाई तक जाती है। बताया कि यदि किसी व्यक्ति को दो हप्ते से ज्यादा से बुखार हो, उसकी तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो और उपचार से ठीक न हो हो तो उसे कालाजार हो सकता है। वहीं पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस पीकेडीएल एक त्वचा रोग है जो कालाजार के बाद होता है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि समय पर इलाज नहीं होने से यह जानलेवा हो जाता है। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों पर इसका प्रभावी और सस्ता इलाज उपलब्ध है। समुदाय आधारित निगरानी प्रणाली को मजबूती पीरामल फाउंडेशन के चंदन कुमार ने बताया की इंफॉर्मर के प्रशिक्षण से समुदाय आधारित निगरानी प्रणाली को मजबूत मिलेगी। स्थानीय स्तर पर सक्रिय की इनफॉर्मर ग्रामीणों में कालाजार रोग के प्रति जागरूकता लाने और रोग के लक्षणों के आधार पर संभावित मामलों की सूचना स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने का काम करेंगे। इस पहल से कालाजार के मामलों पर नजर रखने की पूरी कोशिश होगी। ऐसे में कालाजार के मामलों में कमी आएगी। साथ ही बीमारी के पुन: प्रकोप की संभावना दर न्यूनतम होगी। फोटो- 10 जुलाई अरवल- 11 कैप्शन- अरवल स्थित सदर अस्पताल भवन, जहां हो रही कालाजार से मुक्ति की तैयारी।
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