बिहार के 14 जिलों में 693 पुल-पुलिया लावारिस, नीतीश के अफसरों ने सीरियल ब्रिज कोलैप्स से नहीं ली सीख
राज्य भर में कराए गये सर्वेक्षण में ये पुल-पुलिया मुजफ्फरपुर, चंपारण, मधुबनी, गोपालगंज, सारण, सीवान, सहरसा, कटिहार,वैशाली, मधेपुरा, अररिया, पूर्णिया, सुपौल में मिले हैं। बिहार रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी ने पुल-पुलियों की सूची जारी की है।
बिहार में बरसात में लगातार गिर रहे पुल-पुलियों की राज्यव्यापी जांच में अनोखा मामला सामने आया है। जल संसाधन विभाग की पड़ताल में यह बात सामने आयी है कि विभिन्न नहरों व नालों पर बने 693 पुल-पुलिया ‘लावारिस’ हैं। यानी इनको किस विभाग ने बनाया है, किसके स्वामित्व में हैं और इनकी देखरेख कौन कर रहा है, इसका कोई पता विभाग या सरकार को नहीं मिला है। अब इन पुल-पुलियों के संबंध में ग्रामीण विकास विभाग से जानकारी मांगी गई है। एक माह में बिहार में डेढ़ दर्जन से ज्यादा पुल धराशायी हो गए। इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, राजद सुप्रीमो लालू यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने बिहार की डबल इंजन सरकार के खिलाफ जमकर राजनीति की।
राज्य भर में कराए गये सर्वेक्षण में ये पुल-पुलिया मुजफ्फरपुर, चंपारण, मधुबनी, गोपालगंज, सारण, सीवान, सहरसा, कटिहार,वैशाली, मधेपुरा, अररिया, पूर्णिया, सुपौल में मिले हैं। बिहार रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी ने पुल-पुलियों की सूची जारी की है। इनमें अधिकतर जर्जर हो गए हैं पर आज भी उपयोगी हैं। लेकिन किस विभाग के पुल हैं यह पता नहीं चल रहा। नतीजा यह है कि कोई विभाग इनकी मरम्मत नहीं करवा रहा है। कभी भी हादसा हो सकता है।
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रिपोर्ट में निर्माण एजेंसी को बताया गया है ‘अज्ञात’
ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी संजय कुमार ने इसको लेकर सभी जिलों के डीएम को निर्देश जारी किया है। उन्होंने कहा है कि जल संसाधन विभाग ने सर्वेक्षण व जांच के बाद जिन पुल-पुलियों की सूची सौंपी है, उनमें 14 जिलों के 693 पुल-पुलियों के विभाग का पता नहीं चल रहा है। जल संसाधन विभाग ने अपनी रिपोर्ट में इनकी निर्माण एजेंसी के संबंध में ‘अज्ञात’ होने की रिपोर्ट दी है।
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जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने इन पुलियों के संबंध में पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, पंचायती राज विभाग, योजना एवं विकास विभाग के साथ ही ग्रामीण विकास विभाग से भी जानकारी मांगी थी। उन्होंने इन विभागों से कहा है कि इन पुल-पुलियों की पहचान कर निरीक्षण प्रतिवेदन के अनुरूप इनकी मरम्मत करायी जाए। लेकिन अज्ञात घोषित होने के बाद इनकी मरम्मती का रास्ता साफ नहीं हो रहा है।
बताते चलें कि बिहार में पुलों के धंसने, बहने और टूटकर गिरने की घटनाएं देश भर में चर्चा का विषय बन गई। एक के बाद एक करीब तीस दिनों में डेढ़ दर्जन से ज्यादा छोटे और बड़े पुल ध्वस्त हो गए। विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेताओं ने जमकर राजनीति की। तेजस्वी यादव और लालू यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर नीतीश सरकार पर आक्रमण किया। दूसरी ओर सत्ता में शामिल बीजेपी, जेडीयू के नेताओं ने दावा किया कि तेजस्वी यादव के मंत्री रहते सड़क और पुल के निर्माण में जमकर घपला घोटाला किया गया। इसी का नतीजा अब सामने आ रहा है।
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