
SIR के लिए फर्जी आवासीय प्रमाण पत्र का सीमांचल में हाईप्रोफाइल खेल, CO के दस्तखत भी जाली
संक्षेप: आवासीय प्रमाण पत्र के नाम पर चल रहे काले कारोबार के खुलासे के बाद पुलिस कई स्तर पर मामले की की जांच कर रही है। इसके साथ ही अब अन्य जांच एजेंसियां भी इसकी जांच कर सकती है।
वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने के लिए फर्जी निवास प्रमाण पत्र का मामला हाइप्रोफाइल हो गया है। फर्जी प्रमाण पत्र के गोरखधंधे में गिरफ्तार राजन की कुंडली खंगालने के लिए पुलिस ने कई सुरक्षा एजेंसियों से संपर्क साधा है ताकि पूरे प्रकरण की तह में जाकर इसमें शामिल सभी शातिर को सलाखों के पीछे भेजा जा सके। साथ ही पुलिस यह भी खंगाल रही है कि अब तक किन किन लोगों को फर्जी निवास पत्र जारी किया गया। इसमें कहीं विदेशी नागरिक शामिल तो नहीं हैं।
इधर, आवासीय प्रमाण पत्र के नाम पर चल रहे काले कारोबार के खुलासे के बाद पुलिस कई स्तर पर मामले की की जांच कर रही है। इसके साथ ही अब अन्य जांच एजेंसियां भी इसकी जांच कर सकती है। एसपी सागर कुमार ने भी अन्य सुरक्षा एजेंसियों से संपर्क साधा है। हालांकि अब तक की जांच में जो खुलाशे हुए है,वो चौंकाने वाले है। पुलिस ने पकड़े गए आरोपी समस्तीपुर निवासी राजन से पूछताछ की है। आगे की कार्रवाई को लेकर पुलिस कुछ बिंदु को गुप्त रख रही है।
अमीर बनने का था सपना
महज 26 साल का राजन जल्दी से अमीर बनना चाहता था। पुलिस अब उस व्यक्ति की भी तलाश कर सकती है, जिसने वेबसाइट बनाया था। पुलिस यह भी जांच कर रही है की पुलिस ने गन्धर्वडांगा थाना क्षेत्र के तलवारबंधा गांव में कॉमन सेंटर से जो 20 निवास प्रमाण पत्र बरामद किया है,वो फर्जी है या नहीं। फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के लिए डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था। उसमें संबंधित सीओ के हस्ताक्षर भी फर्जी तरीके से कर दिए जाते थे। पूछताछ में अब तक जो एक सौ प्रमाण पत्र बनवाए जाने की बात सामने आई है, पुलिस इसकी भी जांच कर रही है।
खुलासा होने के बाद जांच एजेंसियां हैरान
पुलिस को जिस प्रकार से फर्जी निवास प्रमाणपत्र बनवाने के प्रमाण मिले है,उससे पुलिस व अन्य जांच एजेंसियां भी हैरान है। कार्रवाई स्थल नेपाल सीमा से सटे होने के कारण जांच एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। फिलहाल पुलिस को जो साक्ष्य मिले हैं, पुलिस उसमें आगे भी साक्ष्य जुटा रही है। जब्त किए गए 20 प्रमाण पत्रों की भी गहनता से जांच की जा रही है।
क्या कहते हैं एसपी
सुरक्षा एजेंसियों से संपर्क साधा है। हालांकि अब तक की जांच में जो खुलासे हुए है,वो चौंकाने वाले है। पुलिस ने पकड़े गए आरोपी समस्तीपुर निवासी राजन से पूछताछ की है। जल्द ही पूरे मामले में और गिरफ्तारी हो सकती है। -सागर कुमार, एसपी
राजन का नेटवर्क खंगाल रही है पुलिस, होंगे खुलासे
बताया जाता है कि राजन का नेटवर्क बिहार के कई जिलों में फैला हो सकता है। वो वाट्सऐप ग्रुप के जरिए अपने गुर्गों से जुड़ा रहता थ और महज कुछ सेकेंड में फर्जी निवास प्रमाण पत्र तैयार कर देता था।इस खुलासे ने प्रशासन को सकते में डाल दिया है। इस खुलासे में अब एसआईआर में जमा सभी निवास प्रमाण पत्रों की गहन जांच जरूरी हो गई है, ताकि फर्जीवाड़े का दायरा और गहराई पता चल सके। एसपी सागर कुमार ने बताया कि जांच अभी जारी है।
आरटीपीएस काउंटर से ही बनएं अपने प्रमाण पत्र
यदि आप निवास प्रमाण पत्र या अन्य प्रमाण पत्र बनवाते हैं तो,ऐसे प्रमाण पत्र संबंधित ब्लॉक में आरटीपीएस काउंटर में ही बनाएं। एसडीएम अनिकेत कुमार ने कहा कि किसी भी सूरत में बिचौलियों के झांसे में न आए, क्योंकि फर्जी प्रमाण पत्र किसी माध्यम से फर्जी तरीके से बना भी लिए जाएंगे तो ये बेकार ही होंगे। मामले में कार्रवाई भी की जा सकती है।
22 अगस्त को फर्जी खेल का किया गया था खुलासा
22 अगस्त को दिघलबैंक प्रखंड के गन्धर्वडांगा थाना क्षेत्र के तलवारबंधा गांव में एक कॉमन सर्विस सेंटर में फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में पुलिस ने पहले एक आरोपी अजय कुमार साह को गिरफ्तार किया था। वहां से संदिग्ध प्रमाण पत्र के अलावा 39 हजार 602 रुपए ,डेढ़ सौ नेपाली मुद्रा,एक डेस्कटॉप,एक लैपटॉप,फिंगर प्रिंट स्कैनर, लेमिनेशन मशीन व एक मोबाइल बरामद आदि बरामद किया था। इसके बाद गिरफ्तार किया गया था।





