
BPSC का आदेश हाईकोर्ट से रद्द, अभ्यर्थी के एग्जाम देने पर 3 साल का बैन लगाया था
संक्षेप: पटना हाई कोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें 70वीं प्रारंभिक परीक्षा के एक अभ्यर्थी को 3 साल के लिए एग्जाम देने पर बैन लगा दिया गया था।
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा के एक अभ्यर्थी को पटना हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने बीपीएससी के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसके तहत अभ्यर्थी को तीन साल तक परीक्षा देने से वंचित कर दिया गया था। जस्टिस संदीप कुमार की एकलपीठ ने तारकेश्वर पांडेय की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि किसी अभ्यर्थी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने में कारणों का उल्लेख करना अनिवार्य है।

आवेदक की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि बीपीएससी ने बिना किसी ठोस आधार और कारण बताए उन्हें बीते 19 फरवरी को 12 दिसंबर 2024 से 12 दिसंबर 2027 तक सभी परीक्षाओं देने से वंचित कर दिया। उनका कहना था कि प्रीलिम्स परीक्षा के दिन पेपर आधे घंटे की देरी से दिया गया था, जिसके बारे में मीडिया को दिए गए उनके बयान को काट-छांट कर वायरल कर दिया गया। उस आधार पर आयोग ने उनपर कार्रवाई करते हुए उन पर 3 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया।
आवेदक ने बताया कि यहां तक कि अभ्यर्थी की विस्तृत सफाई पर विचार तक नहीं किया गया। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि आयोग का आदेश तर्कसंगत नहीं है और न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। उच्च न्यायायलय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी दंडात्मक कार्रवाई में कारणों का उल्लेख करना अनिवार्य है। ऐसे में बिहार लोक सेवा आयोग का आदेश न्यायसंगत नहीं है और इसे निरस्त कर दिया गया।





