श्रद्धा और विश्वास के साथ महिलाओं ने किया हरतालिका तीज व्रत
गोरौल में महिलाओं ने हरतालिका तीज व्रत श्रद्धा से किया। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए तप किया था। इस दिन भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार किया। महिलाएं निर्जला रहकर पूजा अर्चना...

गोरौल,संवाद सूत्र मंगलवार को महिलाओं ने बड़े ही श्रद्धा और विश्वास के साथ हरतालिका तीज व्रत किया। इस पर्व का वर्णन लिंग पुराण में भी है। एक कथा के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने हिमालय पर गंगा तट पर तपस्या की थी। इसी तिथि को भगवान शिव ने दर्शन देकर उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। उसी समय से यह पर्व एवं इस पवित्र तिथि की काफी मान्यता है। महिलाओं ने निर्जला रहकर भगवान शिव एवं माता गौरी की पूजा अर्चना की। यह व्रत महिलाएं अपने पति के दीर्घायु की कामना के लिए कीं।
। कई जगहों पर कुमारी कन्याओं ने भी शिव की तरह पति प्राप्त करने की कामना से इस महान व्रत को किया। शास्त्रों में हरतालिका व्रत भी कहते हैं। विद्वान पंडित उदय शंकर मिश्र बताते हैं कि माता पार्वती ने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थीं। इससे उनका शरीर कमजोर होता जा रहा था, जिसे देख उनकी सहेलियों ने कठिन तपस्या देख उनका अपहरण कर लिया था, जिस कारण इसका नाम हरतालिका पड़ गया। हरत का मतलब होता है अगवा करना और आलिका का मतलब होता है सहेलियों द्वारा अपहरण करना। इसी के कारण इसका नाम हरतालिका पड़ा। इस व्रत के दौरान महिलाएं गौरी, गणेश, महेश के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं की भी पूजा अर्चना करती हैं। इस पर्व की रात्रि महिलाएं सोती नहीं हैं। रातभर भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान लगाकर आराधना के साथ कथा श्रवण करती हैं। महिलाएं इस व्रत के दौरान सोलहों शृंगार करती हैं। नये वस्त्र धारण करती हैं।
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