यूरिया की भारी किल्लत ने खरीफ उत्पादकों को बढ़ाई परेशानी
सरकारी स्तर पर यूरिया उपलब्ध नहीं होने से किसानों के जेब हो रही ढीली,कालाबाजारी में ऊंचे कीमत पर यूरिया खरीदना हो रहा मजबूरी सरकारी स्तर पर यूरिया उपलब्ध नहीं होने से किसानों के जेब हो रही...

महुआ,एक संवाददाता। यूरिया की किल्लत ने खरीफ उत्पादक किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। लंबे समय से बारिश नहीं होने के कारण धान की सूख रही थी। पूर्वा नक्षत्र की हुई बारिश के बाद फसलों को संजीवनी मिली है। फसल में हरियाली लाने के साथ अच्छी उपज के लिए किसान यूरिया देना चाह रहे हैं तो यह मिलना मुश्किल हो रहा है। शनिवार को महुआ के फुलवरिया स्थित बिस्कोमान पर यूरिया के लिए पहुंचे किसानों को निराशा हाथ लगी। किसानों को ऊंची कीमत पर यूरिया खरीद कर फसल में देना मजबूरी बन रहा है। जिससे उनकी जेबें ढीली हो रही है।
यहां किसानों ने बताया कि एक तो बारिश नहीं होने के कारण फसल सूख रही थी और धान में बालियां निकलने से कुम्हला रही थी। अंतिम समय में पूर्वा नक्षत्र की बारिश धान की फसल के लिए वरदान साबित हुई है। किसानों का कहना है कि धान की फसल में अब बालियां निकल रही है। इसी वक्त उसमें यूरिया खाद देने की जरूरत है। अगर फसल में खाद नहीं पड़ती है तो वह कमजोर हो जाएगी और उपज भी घट जाएगी। यूरिया के लिए परेशान किसान दुकान दर दुकान भटक रहे हैं। 265 की बोड़ी वाली यूरिया उन्हें 400 में कालाबाजारी से खरीदनी पड़ रही है। किसान बताते हैं कि उनकी फसल तो कालाबाजारी से खाद खरीदने में ही बिक जाएगी। इधर बिस्कोमान संचालक से पूछने पर बताया गया की 500 बोड़ी यूरिया आई थी जो 3 दिन में ही खपत हो गई। किसान यूरिया के लिए पहुंच रहे हैं लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। किसानों का कहना है कि यूरिया की किल्लत बताकर कालाबाजारी कर दी जाती है। जब फसल में यूरिया देने की जरूरत है तो यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होनी चाहिए। बिस्कोमान पर पहुंचे किसानों ने गुस्सा जताया। किसानों ने बताया कि वह पूंजी के अभाव में कर्ज लेकर खेती करते हैं और समय पर उर्वरक की धोखा हो जाती है। जिससे उनका बना बनाया सब कुछ नाश होने लगता है। महुआ-02-महुआ के फुलवरिया स्थित बिस्कोमान पर यूरिया की किल्लत से किसान परेशान।
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