पूर्ण चंद्रग्रहण : दोपहर बाद बंद कर दिए गए प्रमुख मंदिरों के कपाट
भौतिक विज्ञान के छात्र के अनुसार इसे प्राकृतिक घटना की रूप में देखना चाहिए गायत्री परिवार से जुड़े युवा राजेश कुमार कहते हैं कि खगोलीय घटना का जीवन पर पड़ता है प्रभाव भूगोल के छात्र ने कहा कि खगोलीय...

हाजीपुर । संवाद सूत्र रविवार को पूर्ण चंद्रग्रहण लगा। यह लगभग 3 घंटे 28 मिनट तक था। जिसमें पूर्ण चरण 1 घंटा 22 मिनट का रहा। आचार्य डॉ राजीव नयन झा ने बताया कि ग्रहण की शुरुआत रविवार को रात 8:58 बजे में शुरू हुआ। पूर्ण चंद्रग्रहण रात 11:00 बजे से 12:22 बजे तक लगा। इसके पहले सूतक काल की शुरुआत दोपहर 12:57 बजे हो गई थी। सूतक काल की समाप्ति 8 सितंबर सोमवार को 1:26 बजे होगी। पूर्ण चंद्रग्रहण लगने के नौ घंटे पहले लगे सूतक के कारण हाजीपुर शहर के प्रमुख मंदिरों के कपाट दोपहर बाद पूजा-अर्चना कर बंद कर दिए गए।
पूर्ण चंद्रग्रहण को लेकर आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रूप से युवाओं के अलग विचार हैं। भौतिक विज्ञान के पीजी के छात्र राहुल कुमार का कहना है कि ग्रहण तब होता है जब तीन खगोलीय पिंड एक सीध में आ जाते हैं। पृथ्वी पर रहने वाले व्यक्ति के दृष्टिकोण से चंद्र ग्रहण तब होता है, जब वह सूर्य द्वारा पृथ्वी की छाया में आ जाता है। लोगों को इसे प्राकृतिक घटना की रूप में देखना चाहिए। इससे कोई हानि नहीं है। वहीं आध्यात्मिक रूप से गायत्री परिवार से जुड़े युवा राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि परिवार और आध्यात्मिक गुरुओं के अनुसार खगोलीय घटना का हमारे जीवन पर भी प्रभाव पड़ता है। ग्रहण योग मानसिक अस्थिरता, चिंता, निराशा, जीवन में अस्थिरता, नौकरी और व्यवसाय में बार-बार बदलाव, और रिश्तों में समस्याएं आती हैं। योग कुंडली में सूर्य या चंद्रमा के राहु या केतु के साथ होने पर बनता है और यह व्यक्ति को मानसिक रूप से परेशान करता है और जीवन में बाधाएं उत्पन्न करता है। हालांकि राशियों के अनुसार इसके लाभ भी दिखते हैं। ग्रहण के प्रभाव से कुछ विचित्र बीमारियां होना, जिनके लक्षण दिखते हैं पर कारण पता नहीं चलता, या आंखों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। पारिवारिक और भावनात्मक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती है। भूगोल के छात्र विक्की बताते हैं कि खगोलीय घटना एक अद्भुत घटना है इसका आनन्द लेना चाहिए। जीवन का यह अविस्ममार्निय क्षण है। इसे अपने अनुभव में शामिल करना चाहिये। विज्ञान शिक्षक राकेश कुमार बताते हैं कि पूरे इतिहास में चंद्र ग्रहण को परिवर्तन के संकेत के रूप में देखा गया है, जो आत्म-चिंतन और विकास को प्रोत्साहित करता है। परिवर्तन को अपनाने की शक्ति की याद दिलाता है ग्रहण हमें जीवन के चक्र, संतुलन की सुंदरता और अपने भीतर परिवर्तन को अपनाने की शक्ति की याद दिलाता है। हालांकि ज्योतिषों एवं कर्मकांडी विद्वानों ने इसे मनुष्य के जीवन के उतार चढ़ाव के प्रभाव रूप में देखते हैं। बच्चों को संस्कृत और अध्यात्म की शिक्षा प्रदान करने वाले आचार्य डॉ राजीव झा ने बताया कि पूर्ण ग्रहण के दौरान हम जो विस्मय महसूस करते हैं, वह हमें अपने आत्मबोध से परे सोचने पर मजबूर करता है। यह आपको अपने बाहर की चीज़ों के प्रति ज़्यादा संवेदनशील बनाता है। छात्र आरएन कॉलेज पीजी भूगोल के छात्र मनीष ने बताया कि आज हम जिस आधुनिक समय में हैं। उसमें इस खगोलीय घटना को केवल मनोरंजन के रूप में देखना चाहिए। हालांकि घरों में लोग इसे भगवान के प्रकोप मानते हैं। इन्सेट... पितृ पक्ष आज से शुरु हो रहा महुआ। रविवार को चंद्र ग्रहण और सूतक के कारण मठ मंदिरों में देवी देवताओं के कपाट बंद रहे। श्रद्धालुओं ने मंदिर के द्वार पर पहुंचकर भगवान की पूजा अर्चना कर बाहर से ही आरती उतारी। इधर, पितृ पक्ष सोमवार से शुरू हो रहा है। यह पक्ष दिवंगत पितरों के लिए माना जाता है। इस पक्ष में सनातन धर्म के लोगों द्वारा अपने पितरों को याद कर उन्हें जल देने का प्रावधान है। कई लोग इस पक्ष में गया जी जाकर पिंडदान करने की तैयारी में भी हैं। बताया जाता है कि गया जी में जाकर पिंडदान करने से पितरों को शांति मिलती है। इसी पक्ष में माताएं पुत्र को दीर्घायु होने के लिए सप्तमी रहित अष्टमी को जिउतिया व्रत भी करते हैं। हाजीपुर - 01- हाजीपुर के नगर महादेव पातालेश्वर नाथ मंदिर का सूतक के कारण बंद कपाट।
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