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सोनपुर मेला : बिना निमंत्रण ‘सती गयीं पिता के घर, जलकर हुईं भस्म

सोनपुर मेले में रामायण मंचन की आखिरी शाम कलाकारों ने शिव विवाह की जीवंत प्रस्तुति कर हजारों दर्शकों के मन में भक्ति भावना को जहां प्रबल किया वहीं हैदराबाद में महिला डाक्टर की रेप के बाद हत्या की...

सोनपुर मेला : बिना निमंत्रण ‘सती गयीं पिता के घर, जलकर हुईं भस्म
हिन्दुस्तान टीम,हाजीपुरWed, 04 Dec 2019 12:39 AM
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सोनपुर मेले में रामायण मंचन की आखिरी शाम कलाकारों ने शिव विवाह की जीवंत प्रस्तुति कर हजारों दर्शकों के मन में भक्ति भावना को जहां प्रबल किया वहीं हैदराबाद में महिला डाक्टर की रेप के बाद हत्या की जघन्यतम घटना की भर्त्सना करते हुए लोगों से मातृशक्ति के सम्मान के लिए अपनी मानसिकता में बदलाव की अपील भी की। यह प्रस्तुति संदेशों से भरी रही। अपने पिता के यज्ञ में बिना निमंत्रण के ही जाने की जिद कर रही सती को शिव समझाते हैं- बिना निमंत्रण के तो किसी भी आयोजन में यहां तक कि पिता के घर भी नहीं जाना चाहिए। सती जिद कर जाती हैं। परिणाम अनिष्टकारी होता है। सोनपुर मेले में मंगलवार की शाम शिव विवाह के नाम रही। भगवान शिव सती के साथ कैलाश पर हैं। देवर्षि नारद वहां पहुंचते हैं। सती को कहते हैं, आप यहां हैं और आपके पिता बहुत बड़ा अनुष्ठान कर रहे हैं। यह सुनते ही सती वहां जाने के लिए जिद कर बैठती हैं। शिव समझाते हैं- बिना निमंत्रण के पिता के घर जाने पर भी अपमानित होने की पूरी संभावना बनी रहती है। सती नहीं मानती। पिता निमंत्रण देना भूल गए होंगे, कहती हुई जाने के लिए तैयार हो जाती हैं। विवश होकर शिव नंदी के साथ जाने की अनुमति दे देते हैं लेकिन यह जरूर कहते हैं कि होनी को कौन टाल सकता है। सती पिता के घर पहुंचती हैं। वहां यज्ञ में सभी को आसन दिया गया था लेकिन शिव के लिए कोई स्थान ही तय नहीं था। यह देख सती को ग्लानि होती है और खुद का यज्ञ की अग्नि में जलाकर भस्म कर लेती हैं। यह खबर मिलते ही शिव क्रोधित हो उठते हैं और अपनी जटा से वीरभद्र को प्रकट कर भेजते हैं। वीरभद्र दक्ष के यज्ञ को तहस-नहस कर डालते हैं। इधर शिव भी महा तांडव करने लगते हैं। पूरा ब्रह्मांड कांपने लगता है। देवताओं ने किसी तरह शिव का समझाया। सती के जल जाने से इधर तारकासुर प्रसन्न होता है कि अब वह अजेय है। क्योंकि उसे वरदान था कि शिव पुत्र के अलावा उसका कोई वध नहीं कर सकता। देवताओं में यह चिंता व्याप्त हो जाती है कि अगर शिव ने पुन: विवाह नहीं किया और उन्हें पुत्र नहीं हुआ तो तारकासुर का देवलोकों पर पूरी तरह कब्जा हो जाएगा। देवताओं ने तब कामदेव को शिव में काम वासना पैदा करने के लिए राजी किया। कामदेव ने ऐसा ही किया । काम के वेग के कारण शिव की तपस्या भंग होती है। वे क्रोधित हो उठते हैं और वे कामदेव को भस्म कर देते हैं। कामदेव की पत्नी रति विलाप करने लगती है तो शिव ने उसे अनंग होने का वरदान देते हैं। सीता का रूप धारण कर पार्वती राम की लेती है परीक्षा : इसी बीच ब्रह्मा पहुंचते हैं और पार्वती से विवाह करने का अनुरोध करते हैं। पार्वती ही पूर्व जन्म में सती थी। शिव पार्वती की परीक्षा लेते हैं। शिव हमेशा भगवान राम का गुणगान किया करते थे। एक बार दोनों कही जा रहे थे तो वन में भटक रहे राम पर नजर पड़ती है। पार्वती कहती हैं -क्या ये ही राम है जिनका आप हमेशा गुणगान करते रहते हैं। वह परीक्षा लेने के लिए बिना शिव को बताए सीता का रूप धारण कर राम के सामने पहुंचती हैं । राम देखते ही कहते हैं - आप यहां हैं और भगवान शिव कहां हैं? यह बात जब शिव का मालूम होती है तो वे कहते हैं कि तुमने मां सीता का रूप धारण किया इसलिए अब हमारा पति-पत्नी के रूप में संबंध नहीं बना रह सकता।

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