रंगकर्मियों में है समाज में बदलाव लाने की क्षमता
स्वस्थ समाज के निर्माण और कुरीतियों को दूर करने में रंगकर्मियों की महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका है। रंगकर्मी गीत-संगीत और नाटक के माध्यम से जन चेतना जाग्रत कर रूढ़िवादी सोच को बदल सकते...
स्वस्थ समाज के निर्माण और कुरीतियों को दूर करने में रंगकर्मियों की महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका है। रंगकर्मी गीत-संगीत और नाटक के माध्यम से जन चेतना जाग्रत कर रूढ़िवादी सोच को बदल सकते हैं।
भारतीय जन नाट्य संघ(इप्टा) की जिला इकाई के तत्वावधान में शनिवार को यहां पेंशनर समाज के भवन में स्वस्थ समाज के निर्माण में रंगकर्मियों की भूमिका विषय पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए समाज विज्ञानी एवं राजनीति शास्त्र के पूर्व अध्यक्ष डा. ब्रज कुमार पांडेय ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि दुनिया में जितने भी बदलाव हुए हैं वे सभी वैचारिक और सांस्कृतिक क्रांति के जरिए ही हुए।
प्रारंभ में संस्था के जिला महासचिव विजय कुमार गुप्ता ने इप्टा के कार्यकलापों का ब्योरा प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए इप्टा के प्रदेश महासचिव तनवीर अख्तर ने कहा कि रंगकर्मियों को अपनी स्थानीयता के साथ रंगकर्म के क्षेत्र में कदम बढ़ाने होंगे तभी आम जनता पर उनकी प्रस्तुतियों का व्यापक प्रभाव पड़ेगा। संगोष्ठी में किरण मंडल के सचिव डा. शैलेन्द्र राकेश, पूर्व प्राचार्य डा.गजेन्द्र मोहन श्रीवास्तव, प्रशिक्षक जय प्रकाश आदि ने विचार व्यक्त किए। प्रारंभ में अनिलचंद्र कुशवाहा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
इस अवसर पर महिला रंगकर्मी सुधा वर्मा, क्षितिज प्रकाश, वीर भूषण, प्रकाश गौतम और सुधांशु चक्रवर्ती को प्रशस्ति पत्र और मोमेंटो भेंटकर सम्मानित किया गया। गोष्ठी का संचालन विजय कुमार गुप्ता ने काफी सलीके से किया।