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सदर अस्पताल में ओपीडी व्यवस्था चरमराई, महिला मरीज बेहाल

सदर अस्पताल को मॉडल अस्पताल बनाने का सपना भले ही जिला प्रशासन देख रहा हो, लेकिन यहां के हालात कुछ और ही कहानी कहते हैं। यहां की ओपीडी में इलाज कराने के लिए मरीजों को अभी भी काफी परेशानियों से जूझना...

सदर अस्पताल में ओपीडी व्यवस्था चरमराई, महिला मरीज बेहाल
हाजीपुर। एक प्रतिनिधिMon, 29 Oct 2018 10:48 PM
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सदर अस्पताल को मॉडल अस्पताल बनाने का सपना भले ही जिला प्रशासन देख रहा हो, लेकिन यहां के हालात कुछ और ही कहानी कहते हैं। यहां की ओपीडी में इलाज कराने के लिए मरीजों को अभी भी काफी परेशानियों से जूझना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी महिला मरीजों को हो रही है। ओपीडी और दवा काउंटर पर महिलाओं को इलाज और दवा के लिए घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है, जिसमें गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। 

सदर अस्पताल में अगर आप चाहें कि घर से अस्पताल के चिकित्सक या किसी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सक से इलाज कराने को ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन कर चिकित्सा सुविधा लें तो अभी तक यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। हालांकि ऑनलाइन या अन्य किसी प्रकार की जानकारी के लिए डॉक्टरों का नाम व मोबाइल नम्बर इमरजेंसी वार्ड के समीप चस्पा जरूर कर दिया गया है। यहां ओपीडी के लिए औसतन 1200 एवं अधिकतम 1600 मरीजों का रजिस्टेशन होता है।

सदर अस्पताल की ओपीडी में महिला मरीजों को लाइन में खड़े रहने से निजात दिलाने के लिए टोकन सिस्टम लागू किया गया था, लेकिन कई माह से टोकन सिस्टम बंद है। तत्कालीन डीएम की चिकित्सक पत्नी के कार्यभार संभालने के बाद महिला ओपीडी में टोकन सिस्टम एवं दो महिला चिकित्सकों को इलाज के लिए ड्यूटी लगाई जाती थी, लेकिन अब यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। मरीजों की संख्या को देखते हुए प्रत्येक ओपीडी में दो-दो डॉक्टरों की ड्यूटी तत्कालीन सिविल सर्जन रामाशीष द्वारा किया गया था, लेकिन उनके तबादले के बाद यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई। अभी प्रत्येक ओपीडी में 250 मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं, जिनका इलाज किसी तरीके से निपटाया जा रहा है। सहज रूप से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक मरीज पर डॉक्टर कितना समय देते होंगे।

मरीजों का दिन कतार में बीत जाता है 
सदर अस्पताल में रोग के हिसाब से अलग-अलग ओपीडी के लिए रजिस्ट्रेशन होता है। मरीजों को पहले रजिस्ट्रेशन काउंटर, फिर ओपीडी में इलाज कराने एवं अंत में दवा काउंटर पर घंटों लाइन की व्यवस्था में ही पूरा दिन लाइन में बीत जा रहा है। इसके बावजूद उन्हें बेहतर इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है। दवा काउंटर पर सिर्फ एक फार्मासिस्ट की ड्यूटी है, जो दवा का वितरण मरीजों के बीच करता है। कौन सी दवा कब खानी है, यह मरीजों को नहीं बताया जाता है। चिकित्सक की सलाह के अनुसार दवा नहीं खाने से मरीजों को साइड इफेक्ट का दंस भी झेलना पड़ रहा है। बीते दिन राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक लोकेश कुमार ने हर काउंटर पर फार्मासिस्ट को रखकर डॉक्टर की सलाह के अनुरूप ही कौन सी दवा खानी है, बताने की व्यवस्था कराने की निर्देश दिया था।

ओपीडी में मरीज जांच के लिए टेबल नहीं
कार्यपालक निदेशक ने ओपीडी के प्रत्येक डॉक्टर चैम्बर में मरीजों के लिए स्वास्थ्य जांच टेबल की व्यवस्था 24 घंटे में करने का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक टेबल का व्यवस्था नहीं की जा सकी है। 

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. कामेश्वर मंडल ने हिन्दुस्तान को बताया कि डॉक्टरों की भारी कमी है। मरीजों की संख्या के हिसाब से चिकित्सकों की कमी है। महिला ओपीडी में टोकन सिस्टम की व्यवस्था के लिए अस्पताल प्रबंधक को निर्देश दिया है।

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