भाई दूज और यम द्वितिया और श्री श्री चित्रगुप्त पूजन आज
हाजीपुर में भाई दूज और यम द्वितिया का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्री चित्रगुप्त की पूजा होगी, जो सभी प्राणियों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। पूजा में कलम, दवात और बहीखातों की अर्चना की जाएगी।...
हाजीपुर। संवाद सूत्र कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि में आज रविवार को भाई दूज और यम द्वितिया का पर्व मनाया जाएगा। इसी के साथ कायस्थ कुल के इष्ट देव भगवान श्री श्री चित्रगु्प्त की भी पूजा की जाएगी। हालांकि अब हर पढ़ने लिखने वाले लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन कलम-दवात और बहीखातों की पूजा की पूजा होगी। सार्वजनिक पूजा स्थलों के अलावा आवासीय परिसरों में भगवान श्री श्री चित्रगु्प्त पूजन की जोर शोर से तैयारी की गई है। आचार्य डॉ राजीव नयन झा ने बताया कि चित्रगुप्त भगवान को मृत्यु के देवता यमराज का सहयोगी माना जाता है। मान्यता है कि चित्रगुप्त सभी प्राणियों के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। भगवान श्री चित्रगुप्त के जीवन चरित्र में ज्ञान, विद्या, सरलता, सहजता, पवित्रता, सच्चाई और विश्वास के सात दीप प्रज्ज्वलित हैं। ये दीप समाज को ज्ञान, शिक्षा और बुद्धि की त्रिजोत जलाए रखने का संदेश देते हैं। मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से उन्नति का आशीर्वाद मिलता है और मृत्यु के बाद नर्क यातनाएं नहीं मिलती हैं। हाजीपुर स्थित श्री श्री 1008 बाबा बद्री विशाल चित्रगुप्त मंदिर में मंदिर कमेटी के अध्यक्ष संदीप कुमार एवं पूर्व सचिव डॉ प्रतीक के नेतृत्व में पूजा की भव्य तैयारी की गई है। शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ रंजन मुख्य कार्यकर्ता व यजमान है। गांधी आश्रम में हिमांशु और युवाओं का दल पूजा की भव्य तैयारी में जुटा हुआ है। यहां भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के अलावे भंडारे का भी आयोजन किया गया है। डाकबंगला रोड, नया टोला, हथसारगंज के साथ जिले के कई प्रखंडों में पूजा का पारंपरिक आयोजन किया जा रहा है। कैसे करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा आचार्य राजीव नयन झा ने बताया कि एक चौकी पर भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर स्थापित करें और उन्हें रोली, अक्षत, फूल, मिठाई, फल अर्पित करें। इसके बाद एक कोरे कागज पर 5 बार श्री चित्रगुप्ताय नमः 'साथ ही मसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम्! महीतले। लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते, मंत्र को लिखें और इसे भगवान के चरणों में रख दें। इसके बाद अज्ञानता के कारण हुई गलतियों के क्षमा मांगे और विद्या, बुद्धि व सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। द्वितीय तिथि में ही होगी भाईदूज भाईदूज भी द्वितीय तिथि में ही होती है। इस पर प्रकाश डालते हुए डॉ झा ने कहा कि हिंदूओं के प्रमुख त्योहार में भाईदूज का भी बहुत महत्व है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना भी करती हैं। स्कंदपुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज को प्रसन्न करने से पूजन करने वालों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। राक्षस राजा नरकासुर को हराने के बाद, भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा के पास गए, जिन्होंने मिठाई और फूलों के साथ उनका स्वागत किया। उन्होंने स्नेह से कृष्ण के माथे पर तिलक लगाया और उन्हें सूखा नारियल दिया जो कि शुभता का प्रतीक है। तभी से भाई दूज के त्योहार की शुरुआत हुई।
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