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बच्चे को डायरिया से बचाएगा रोटा वायरस रोधी वैक्सीन

आरवी वैक्सीन नियमिति टीकाकरण शामिलआरवी वैक्सीन नियमिति टीकाकरण शामिल हाजीपुर। एक प्रतिनिधि रोटा वायरस रोधी वैक्सीन बच्चों को...

बच्चे को डायरिया से बचाएगा रोटा वायरस रोधी वैक्सीन
हिन्दुस्तान टीम,हाजीपुरFri, 10 May 2019 07:03 PM
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हिन्दुस्तान खास जिले में तीन जुलाई से बच्चों को पिलायी जाएगी खुराकवैक्सीन देने के लिए पटना में दी गयी ट्रेनिंगवैक्सीन की खुराक एक साल तक के बच्चों को पिलायी जाएगीहाजीपुर। एक प्रतिनिधिवायरस रोधी वैक्सीन रोटा बच्चों को डायरिया से बचाएगा। तीन जुलाई से वैशाली जिले के सभी टीकाकरण सत्र पर दिया जाएगा। पेंटावायलेंट टीका के प्रोटोकॉल के अनुसार इस वैक्सीन को बच्चों को दिया जाएगा। यह जानकारी जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि जन्म के छठे सप्ताह पर डायरिया से बचाव के लिए रोटा वायरस रोधी दवा की पांच बूंद पिलायी जाएगी। दूसरी खुराक दस सप्ताह एवं तीसरी खुराक 14 वें सप्ताह पर पिलायी जाएगी। रोटा वायरस रोधी वैक्सीन देने का कार्य तीन जुलाई से शुरू होगा। इसके लिए पटना में डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ. श्वेता राय, यूनिसेफ के एसएमसी मधुमिता, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक निभा सिन्हा एवं वीसीसीएम रंधीर कुमार को प्रशिक्षण दिया गया और 28 एवं 29 मई को पटना में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उक्त सभी प्रशिक्षण प्राप्त चिकित्सा पदाधिकारी जिला में मास्टर ट्रेनर के रूप में सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से एक-एक चिकित्सा पदाधिकारी को प्रशिक्षण देने का काम करेंगे। जिला प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सभी चिकित्सा पदाधिकारी अपने-अपने पीएचसी में एएनएम, आशा एवं आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका को प्रशिक्षण देने का काम करेंगे। यह दवा एक साल तक के बच्चों को पिलायी जाएगी। यह दवा पोलियो ड्राप की तरह होगी। डॉ. कुमार ने बताया कि वैक्सीन के रख-रखाव के लिए कोल्ड चेन की समीक्षा कर ली गई है।बयान बच्चों को डायरिया से बचाव के लिए सभी सरकारी अस्पताल एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर जिंक टेबलेट एवं ओआरएस का पैकेट उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे को जिंक का आधा टेबलेट 14 दिनों तक खिलाना है। इसी तरह पांच वर्ष से ऊपर के बच्चों को एक टेबलेट चौदह दिनों तक खिलाना है।- डॉ. इन्द्रदेव रंजन, सिविल सर्जन, वैशाली इन्सेट... डायरिया से बच्चे को रखें सुरक्षित, लक्षण अनदेखा न करें ओआरएस घोल से 90 प्रतिशत डायरिया का प्रबंधन संभव कुपोषित बच्चों में डायरिया से बढ़ सकती है समस्याएं हाजीपुर। एक प्रतिनिधि बदलते मौसम में डायरिया से पीड़ित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। डायरिया के कारण बच्चों में (डिहाइड्रेशन) से समस्याएं बढ़ जाती हैं। शिशु मृत्यु दर के कारणों में डायरिया भी प्रमुख कारण है। ऐसे में डायरिया के लक्ष्णों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन के जरिए ही बच्चों को डायरिया जैसे गंभीर रोग से आसानी से बचा सकते हैं। क्या है डायरिया विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चों को 24 घंटे के दौरान तीन या उससे अधिक बार पानी जैसा दस्त आना डायरिया है। डायरिया तीन प्रकार का होता है। 1. एक्यूट वाटरी डायरिया जिसमें दस्त काफ़ी पतला होता है एवं यह कुछ घंटों या कुछ दिनों तक ही होता है। इससे (डिहाइड्रेशन) एवं अचानक वजन में गिरावट का ख़तरा बढ़ जाता है। 2. एक्यूट ब्लडी डायरिया जिसे शूल के नाम से भी जाना जाता है। इससे आंत में संक्रमण एवं कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है। तीसरा परसिस्टेंट डायरिया जो 14 दिन या इससे अधिक समय तक रहता है. इसके कारण बच्चों में कुपोषण एवं गैर-आंत के संक्रमण फ़ैलने की संभावना बढ़ जाती है। लक्ष्णों का रखें ध्यान :-1. शुरूआती लक्ष्णों का ध्यान रख माताएं पहचान सकती हैं 2. प्यास का बढ़ जाना, लगातार पतले दस्त का होना 3. बार-बार दस्त करने के साथ उल्टी का भी होना 4. भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना 5. दस्त के साथ हल्के बुखार का आना 6. ओआरएस एवं जिंक घोल करता है बचाव लगातार दस्त होने से बच्चों में निर्जलीकरण की समस्या बढ़ जाती है। दस्त के कारण पानी के साथ जरुरी एल्क्ट्रोलाइट्स( सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड एवं बाईकार्बोनेट) का तेजी से ह्रास होता है। बच्चों में इसकी कमी को दूर करने के लिए ओरल रीहाइड्रेशन सलूशन(ओआरएस) एवं जिंक घोल दिया जाता है। इससे डायरिया के साथ डिहाइड्रेशन से भी बचाव होता है। फोटो इलेस्ट्रेशन - डायरिया और डायरिया 01-

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