पितरों के लिए वैतरणी में तर्पण कर किया गौदान
तेतरियां सरोवर में सुबह से दोपहर तक बनी रही गहमागहमी अंतिम दिन तर्पण को फल्गु में उमड़ा लोगों का भारी सैलाब

पंचदेवरी, एक संवाददाता। पितृपक्ष के अंतिम दिन रविवार को पिंडदानियों का जत्था सरोवरों व नदियों के घाटों पर पहुंचा। पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए वैतरणी में तर्पण के बाद लोगों ने घाट पर गौदान किया। गौदान करने के बाद आपके पितर वैतरणी पार कर भवसागर होते हुए ब्रह्मलोक पहुंच जाएंगे, कर्मकांड का यह वैदिक मंत्र नदियों व सरोवरों के घाटों पर गूंजता रहा। जिले के पंचदेवरी प्रखंड के तेतरियां सरोवर , डुमरिया घाट स्थित नारायणी रिवर फ्रंट और गंडक नदी के घाटों पर लोगों ने पिंडदान किया। पितृपक्ष के आमवस्या तिथि को अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान के बाद पिंडदानियों ने तेतरियां सरोवर में तर्पण किया।
गौ माता की पूजन कर पंडित दक्षिणा देने के बाद गौदान का संकल्प पूरा हुआ। आचार्य पं अनिल उपाध्याय व दिनबंधु मिश्रा ने बताया कि पितृपक्ष में पिंडदान के समय ब्राह्मण भोजन कराने से पहले कौआ, गाय और कुत्तों को भोजन कराने का विधान है। ऐसा करने से पितृ की कृपा बनी रहती है। जिले के अन्य जगहों पर भी लोग जल देने के बाद पितरों को तृप्त करने के लिए कौए को भोजन दिए। वहीं आचार्य पं. अजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि कौआ को खिलाने से यह भोजन पितरों तक पहुंच जाएगा। पूर्वजों की आत्मा तृप्त होगी। पिंडदान करने के समय अपने पितरों को स्वर्ग जाने में बाधा उत्पन्न न हो, इसके लिए काग बेदी की पूजा की जाती है। इसके तहत पक्षी में कौआ, जानवरों में कुत्ता और गाय की पूजा होती है। बताया कि गाय को पिंडदानी अपने हाथों से भोजन खिलाते हैं। वहीं, कौओं के लिए छत पर या खुले में रखकर छोड़ देते हैं। समय-समय पर एक-दो कौए में दिख जाते हैं। पिंडदानी इसी को मान लेते हैं कि भोजन पितरों तक पहुंच गया है।
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