भाव से अराधना करने पर क्षण में भगवान प्रदान करते हैं भक्ति: शशि प्रभा
भगवान भाव के भूखे होते हैं। भाव से भगवान की आराधना करने से क्षण में ही भगवान अपनी भक्ति प्रदान करते हैं। उक्त बातें सिधवलिया स्टेशन चौक पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन कथा वाचिका...
भगवान भाव के भूखे होते हैं। भाव से भगवान की आराधना करने से क्षण में ही भगवान अपनी भक्ति प्रदान करते हैं। उक्त बातें सिधवलिया स्टेशन चौक पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन कथा वाचिका शशिप्रभा ने कही। उन्होंने कथा सुनाते हुए कहा कि उद्धव जी के मन में ये बात थी कि वो अपने ज्ञान से भगवान की भक्ति को प्राप्त कर लेंगे। जब भगवान कृष्ण को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने उद्धव जी के आंखों से पर्दा हटाने के लिए उनको एक पत्र दे गोकुल की गोपियों के पास भेज दिया। जैसे ही गोपियां भगवान कृष्ण के पत्र आने की बात सुनी वो पत्र को छीनने लगी व उसके टुकड़े टुकड़े कर अपने नेत्रों से लगाने लगी। तब उद्धव जी ने गोपियों से कहा कि पहले पत्र पढ़ना चाहिए था कि भगवान ने क्या संदेश दिया है। तब गोपियों ने कहा कि जब कृष्ण ने इस पत्र को लिखा होगा तो उनके हाथ इस पत्र पर छुई होगी। यंही हमारे लिए बहुत है। इस पत्र के टुकड़ों को अपने नेत्रों से लगा हम कृष्ण के हाथों के स्पर्श को महसूस कर रहे हैं। गोपियों के इस भाव को देख उद्धव जी के आंखों से पर्दा उठा और वो समझ गए कि भगवान ज्ञान के नही भाव के भूखे होते हैं। मौके परआयोजन समिति के त्रिलोकी प्रसाद, हरेन्द्र गुप्ता, पवन अग्रवाल, डीसी झा, राहुल पांडेय, विजय कुवर, प्रमोद कुमार, जितेंद्र कुमार, राजीव कुमार, भोला साह आदि थे।