‘मंदिर भारतीय सांस्कृतिक आत्म अभिव्यक्ति का है केंद्र
• मंदिरों की अर्थव्यवस्था और रोजगार में भूमिका पर राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का हुआ आयोजन •

मंदिर आध्यात्मिक केंद्र के साथ भारत की अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण स्तंभ भी है। इसे लेकर शुक्रवार को ग्लोबल संस्कृत मंच दिल्ली और मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘मंदिर: भारत की अर्थव्यवस्था, रोजगार एवं आत्म प्रकाशन विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र कुंज बिहारी के वैदिक मंगलाचरण से हुई। मुख्य वक्ता प्रो. डी प्रमोद डीन अनुसंधान और विकास मल्ल रेड्डी विश्वविद्यालय हैदराबाद ने पीपीटी प्रस्तुति के माध्यम से मंदिरों की बहुआयामी भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि मंदिर भारतीय सांस्कृतिक आत्म अभिव्यक्ति का केंद्र है, जो स्थानीय स्तर पर रोजगार, पर्यटन, कला, साहित्य और वास्तुकला को भी प्रोत्साहित करता है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शशि प्रताप शाही ने की। स्वागत भाषण विभाग की प्राध्यापक डॉ. ममता मेहरा ने दिया। जबकि संचालन डॉ. एकता वर्मा ने किया। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. राजेश कुमार मिश्र ने किया। आयोजन में ग्लोबल संस्कृत मंच (बिहार) की अध्यक्ष डॉ. निभा शर्मा, विभागाध्यक्ष डॉ. उमेश राय, पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर प्रसाद सहित अन्य प्राध्यापक वविद्यार्थी उपस्थित रहे।
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