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अपने धर्म के प्रति आस्था और दूसरे धर्म के प्रति सम्मान जरूरी: डीएम

अपने धर्म के प्रति आस्था और दूसरे धर्म के प्रति सम्मान जरूरी: डीएम

अपने धर्म के प्रति आस्था और दूसरे धर्म के प्रति सम्मान जरूरी: डीएम
हिन्दुस्तान टीम,गयाFri, 17 May 2019 08:48 PM
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भगवान बुद्ध की 2563 वीं जयंती पर महाबोधि सोसाइटी ऑफ इण्डिया में ‘बौद्ध धर्म : अन्तरधार्मिक सौहार्द्र का संदेहवाहक, विषय पर आयोजित सेमिनार शुक्रवार को संपन्न हो गया। सेमिनार के दूसरे दिन डीएम अभिषेक सिंह ने देश-विदेश से आये अतिथियों को संबोधित किया। डीएम ने कहा कि अन्तरधार्मिक सौहार्द्र के लिए मानवता की समझ का विकसित होना आवश्यक है। अपने धर्म के प्रति आस्था का होना और दूसरे धर्म के प्रति अवहेलना के भाव से सौहार्द्र पूरा नहीं होता। पूरी मानवता तथा सम्पूर्ण जगत के प्राणियों के प्रति सद्भाव का होना आवश्यक है। बोधगया शांति और अहिंसा का प्रतीक स्थल है। यहां शांति बनाए रखना एक चुनौती है। विंध्वसकारी तत्व शांति भंग कर अपनी शांति भी खो देते हैं। ऐसी परिस्थिति में भी भगवान बुद्ध द्वारा उपदिष्ट शांति, अहिंसा सद्भावना एवं मैत्री का संदेश सहायक है। दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन दो शैक्षणिक सत्र संपन्न हुआ। आठ विद्वानों ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किया। सारनाथ के केन्द्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय के लामा ग्यात्सेन नामडोल तथा लामा नवांग ग्यात्सेन ने कहा कि बुद्ध धर्म में कर्मफल की व्यवस्था है। बौद्ध धर्म कर्म प्रधान है अर्थात् पंचशील के सम्यक् आचरण से जीवन में दुःख कम होता जाता है। आज के सत्र में ऋषिकेश शरण, प्रो कुसुम कुमारी, डा. शैलेन्द्र कुमार, लाओस के भिक्षु सायजना बोनथावांग एवं अन्य विद्वाना ने अपने विचार व्यक्त किए।

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