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विष्णुपद की छह वेदियों पर हुआ पिंडदान

आश्विन कृष्णपक्ष की सप्तमी और पितृपक्ष मेले के आठवें दिन मंगलवार को पिंडदानियों की भीड़ विष्णुपद मंदिर में अधिक रही। मंदिर परिसर में लगातार दूसरे दिन त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध करने वाले तीर्थयात्रियों ने...

 विष्णुपद की छह वेदियों पर हुआ पिंडदान
हिन्दुस्तान टीम,गयाTue, 12 Sep 2017 05:54 PM
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आश्विन कृष्णपक्ष की सप्तमी और पितृपक्ष मेले के आठवें दिन मंगलवार को पिंडदानियों की भीड़ विष्णुपद मंदिर में अधिक रही। मंदिर परिसर में लगातार दूसरे दिन त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध करने वाले तीर्थयात्रियों ने कर्मकांड किया। मंदिर के आग्नेय कोण पर स्थित सोलह वेदियों में छह वेदियों पर खीर से बने पिंड को अर्पित तक पितरों को ब्रह्मलोक की प्राप्ति की कामना की। चंद्रपद, गणेशपद, सभ्यागिनपद, अवस्यागिनपद, दधीचि और कण्वपद पिंडवेदियों पर सुबह से ही पिंडदानियों की भीड़ जुटने लगी। 17 दिनों का कर्मकांड करने वालों ने मुख्य रूप से खीर और जौ के आटे से बने पिंडों को दान किया। लोगों की भारी भीड़, पिंड और जल के कारण फिसलन से तीर्थयात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी। पिंडदान करने के बाद पिंडदानियों ने भगवान विष्णु के चरण के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। इन वेदियों के अलावा देवघाट, संगत घाट, फल्गु नदी, ब्रह्म सरोवर, वैतरणी, अक्षयवट, सीताकुंड व प्रेतशिला सहित विभिन्न सरोवरों पर भारी संख्या में तीर्थयात्री कर्मकांड करते नजर आए। त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने वालों के अलावा एक दिन का गयाश्राद्ध करने वालों की आवाजाही लगी है। कम दिखी पिंडदानियों की भीड़ पिछले सात दिनों की तुलना में मंगलवार को विष्णुपद इलाके में पिंडदानियों की भीड़ कम दिखी। सुबह के वक्त ही विष्णुपद मंदिर स्थित सोलह वेदियों पर तीर्थयात्री नजर आए। दोपहर 12 बजे के बाद तो सोलह वेदी परिसर खाली आया। हालांकि मंदिर परिसर के अन्य स्थानों पर तीर्थयात्री कर्मकांड करते नजर श्री विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के सचिव गजाधर लाल पाठक ने कहा कि भीड़ कम गयी है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में सूखे का भी असर है। बाढ़ के कारण उत्तर बिहार से भी तीर्थयात्री का जत्था नहीं पहुंचा है। अब सभी की नजर अमावस्या पर लगी है। गयापाल कृष्णा लाल जी टैया ने कहा कि बोधगया सहित अन्य वेदियों पर पिंडदान होने से तीर्थयात्रियों की भीड़ फैल गयी है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में सूखे के कारण पिंडदान गयाधाम कम आए हैं। आज भी विष्णुपद मंदिर में ही पिंडदान का है विधान लगातार तीसरे और आखिरी दिन बुधवार को भी विष्णुपद मंदिर परिसर में स्थित पिंडवेदियों पर कर्मकांड का विधान है। अष्टमी तिथि को मातंगपद, क्रौचपद, इंद्रपद, अगस्त्यपद, काश्यपद और गर्जकर्ण वेदी पर पिंडदान होगा। गजकर्ण वेदी पर दूध से तर्पण का विधान है।

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