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पितृपक्ष : पितरों के लिए गयासिर और गयाकूप वेदी पर किया कर्मकांड

पितृपक्ष : पितरों के लिए गयासिर और गयाकूप वेदी पर किया कर्मकांड

पितृपक्ष : पितरों के लिए गयासिर और गयाकूप वेदी पर किया कर्मकांड
हिन्दुस्तान टीम,गयाThu, 04 Oct 2018 10:27 PM
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सीताकुंड में पिंडदान के दूसरे दिन त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध रहे पिंडदानियों का जत्था गुरुवार को एक बार फिर विष्णुपद इलाके में लौट गया। देश के कोने-कोने से आए पिंडदानियों ने विष्णुपद क्षेत्र की दो पिंडवेदियों पर गयाश्राद्ध कर पितरों के स्वर्ग प्राप्ति की कामना की। पितृपक्ष की दशमी तिथि गुरुवार को पिंडदानियों ने विष्णुपद मंदिर के दक्षिण श्मशान घाट के पास गया सिर और गया कूप वेदियों पर कर्मकांड किया। आज की तिथि को इन वेदियों का महत्व होने के कारण यहां भारी भीड़। गया सिर वेदी का छोटा परिसर होने के कारण पिंडदानी इसकी छत और अगल-बगल पिंडदान करते नजर आए। शौचालय के बाहर तीखी धूप में बैठकर पिंडदान किया। तीर्थयात्रियों ने कर्मकांड करने के बाद गया कूप वेदी के अंदर स्थित कुएं में पिंड को अर्पित कर दिया। इसके बाद संकटा देवी के दर्शन-पूजन कर पिंडदानियों ने पितरों के साथ-साथ परिजनों के लिए कामना की। सत्रह दिनी पिंडदान करने वालों ने दोनों वेदियों पर जगह नहीं मिलने पर विष्णुपद मंदिर परिसर और तुलसीबाग में भी बैठकर पिंडदान किया। एक दिनी गयाश्राद्ध करने वालों की भीड़ विष्णुपद मंदिर, देवघाट और अक्षयवट पर रही। इसके अलावा संगत घाट, गजाधर घाट, ब्रह्म सरोवर, प्रेतशिला, रामशिला, सीताकुंड, वैतरणी सहित अन्य वेदियों पर पिंडदानी कर्मकांड कर रहे हैं।

विष्णुपद मंदिर में पिंडदान और पूजन को लग रही कतार

पितृपक्ष मेला के 11 दिन बीत जाने के बाद विष्णुपद मंदिर में भीड़ कम गई है। बावजूद सुबह से 10 बजे मंदिर परिसर में भीड़ है। गुरुवार की सुबह भी मंदिर में पिंडदान के बाद विष्णुचरण के दर्शन-पूजन को कतार दिखी। हालांकि पिछले चार-पांच दिनों के मुकाबले यह कतार काफी छोटी थी। एक दिनी पिंडदान करने वाले तीर्थयात्री कर्मकांड के बाद विष्णुचरण पर पिंड अर्पित कर दर्शन-पूजन कर रहे हैैं। हालांकि प्रेतशिला, अक्षयवट, ब्रह्मसत, वैतरणी, फल्गु, रामशिला, रामकुंड व धर्मारण्य आदि वेदियों पर पिंडदान कम हो रहे हैं।

आज करसिल्ली पर पहुंचेगा पिंडदानियों का जत्था

त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध करने वाले पिंडदानियों का जत्था शुक्रवार को विष्णुपद मंदिर के सामने पश्चिम दिशा में स्थित करसिल्ली पहाड़ी पर पहुंचेगा। पहाड़ी पर घनी आबादी के बीच स्थित तीन पिंडवेदियों पर पितरों के लिए कर्मकांड करेंगे। यहां मंुडपृष्ठा, आदिगया और धौतपद वेदियां हैं। मुंडपृष्ठा पर श्राद्ध और दर्शन करने का महत्व है। आदिगया तीर्थ पर पिंडदान के बाद धौतपद वेदी पर जाकर खोवा या गुड़ के पिंड अर्पित करने का विधान है ।

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