Indian Scientists Lead Groundbreaking Neutrino Research Published in Physical Review Letters न्यूट्रिनो पर शोध फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित, Gaya Hindi News - Hindustan
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न्यूट्रिनो पर शोध फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित

दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. वेंकटेश सिंह के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने न्यूट्रिनो पर शोध किया है, जो फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। यह शोध न्यूट्रिनो-न्यूक्लियस कोहेरेंट...

Newswrap हिन्दुस्तान, गयाWed, 16 April 2025 05:23 PM
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न्यूट्रिनो पर शोध फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित

न्यूट्रिनो, जिन्हें उनकी सूक्ष्मता और लगभग अदृश्य गुणों के कारण भूतिया कण कहा जाता है, फोटॉन के बाद ब्रह्मांड में सबसे आम कण हैं। हालांकि, वे इतने कमजोर रूप से परस्पर क्रिया करते हैं कि उन्हें पहचानना कई वर्षों से वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती रहा है। दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के भौतिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. वेंकटेश सिंह के नेतृत्व में एक शोध दल के द्वारा न्यूट्रिनो पर किए गए शोध को प्रतिष्ठित फिजिकल रिव्यू लेटर्स ने प्रकाशित किया है। पीएनएएस, नेचर फिजिक्स, सेल, जेएसीएस जैसी पत्रिकाओं के समकक्ष जर्नल फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित इस अध्ययन का फोकस न्यूट्रिनो-न्यूक्लियस कोहेरेंट स्कैटरिंग (सीईवीएनएस) है और इसने अंतर्राष्ट्रीय पटल पर वैज्ञानिक क्षेत्र में अन्वेषण में भारत की भूमिका को चिन्हित किया है। प्रो. वेंकटेश सिंह के नेतृत्व में संचालित शोध दल में डॉ. लखविंदर सिंह (सहायक प्रोफेसर, सीयूएसबी) के साथ भारत, ताइवान, तुर्की और चीन के वैज्ञानिक शामिल थे। प्रो. वेंकटेश सिंह के नेतृत्व में भारतीय वैज्ञानिकों ने ताइवान, चीन और तुर्की के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर ताइवान के कुओ-शेंग रिएक्टर न्यूट्रिनो प्रयोगशाला (केएसएनएल) में यह शोध किया, जहां पी-टाइप पॉइंट-कॉन्टेक्ट जर्मेनियम डिटेक्टर का इस्तेमाल किया गया। डिटेक्टर की खास बात यह है कि इसे ठंडा करने के लिए इलेक्ट्रोकूल विधि का इस्तेमाल किया गया - जिससे लिक्विड नाइट्रोजन के इस्तेमाल की जरूरत खत्म हो गई यह शोध न केवल डार्क मैटर की खोज में क्रांतिकारी साबित हो सकता है, बल्कि सुपरनोवा न्यूट्रिनो के अध्ययन, परमाणु रिएक्टरों की निगरानी और संभावित ऊर्जा स्रोतों के दोहन में भी क्रांतिकारी साबित हो सकता है। प्रो. वेंकटेश सिंह बताते हैं कि जब न्यूट्रिनो और डार्क मैटर किसी नाभिक से टकराते हैं, तो उत्पन्न होने वाले संकेत लगभग एक जैसे होते हैं। यही कारण है कि न्यूट्रिनो-न्यूक्लियस कोहेरेंट स्कैटरिंग (सीईवीएनएस) को डार्क मैटर का ''नकल'' कहा जाता है।

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