भारतीय भाषा में शिक्षा से समाज का हर वर्ग होगा लाभान्वित: कुलपति
दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में विधि और शासन पीठ द्वारा “भारतीय भाषाओं में विधि का अध्ययन, अध्यापन और अध्ययन सामग्री का...

दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में विधि और शासन पीठ द्वारा “भारतीय भाषाओं में विधि का अध्ययन, अध्यापन और अध्ययन सामग्री का निर्माण” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि देश में बोली जाने वाली सभी भाषाओं का अपना महत्व है और उन सभी के मध्य समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के आलोक में भारतीय भाषा में शिक्षा को अपनाने से सबसे बड़ी उपलब्धि यह होगी कि समाज के हर वर्ग के लोगों तक शिक्षा का प्रसार होगा। कुलपति ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिये गये पंच प्रण, जी-20 प्रेसीडेन्सी, भारत के अमृत काल (2022-2047), एनईपी 2020 के उद्देश्यों को यह कार्यशाला पूर्ण करने में काफी हद तक सक्षम होगी।
देशज शब्द के प्रयोग आदि पर बल
कार्यशाला के झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति दीपक रोशन ने हिन्दी भाषा के प्रयोग, न्यायालय प्रक्रिया में सामान्य भाषा प्रयोग, विधिक भाषा में देशज शब्द के प्रयोग आदि पर बल दिया। न्यायामूर्ति दीपक रोशन ने कहा की भाषा का सरलीकरण इस प्रकार से हो कि व्याकरण रुकावट न हो बल्कि विधिक शब्दावली एवं वाक्य सामान्य जनमानस को समझ में आये। इस तरह से शब्द में तत्सम तद्भव देशज, विदेशज शब्दों का भी परस्पर समावेश एवं सम्बन्ध सम्बन्ध स्थापित हो सकता है। विधि एवं शासन पीठ के अधिष्ठाता प्रो. संजय प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय भाषा भाषाई दासता से मुक्ति दिलाने में मदद करेगी। कानून की सुलभ उपलब्धता, शिक्षा एवं जागरूकता के लिये भी भारतीय भाषा काफी उपयोगी होगी। कार्यशाला में सीयूएसबी कुलसचिव कर्नल राजीव कुमार सिंह, प्रो. पवन कुमार मिश्रा (डीएसडब्लू), प्रो. दुर्ग विजय सिंह (निदेशक, रिसर्च एवं डेवलपमेंट सेल सीयूएसबी), प्रो. वेंकटेश सिंह (विभागाध्यक्ष, भौतिकी विभाग), डॉ. दिग्विजय सिंह (समन्वयक), मणि प्रताप (सह समन्वयक), प्रो. प्रधान पार्थसारथी, प्रो. अशोक कुमार, डॉ. प्रदीप दास, डॉ. सुरेन्द्र कुमार, पुनम कुमारी, डॉ. देव नारायण सिंह, डॉ. अनन्त प्रकाश नारायण, डॉ. अनुराग अग्रवाल, डॉ. अनुजा मिश्रा, डॉ. चन्दना सुबा माैजूद थे।